आरपीएन सिंह के जाते ही यूपी कांग्रेस में लगी इस्तीफो की झड़ी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लग गया है. आरपीएन सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद से इस्तीफों का दौर शुरू हो चुका है. पडरौना विधानसभा के घोषित प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने प्रदेश अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

मनीष जायसवाल ने अजय कुमार लल्लू को एक चिट्ठी लिख अपने फैसले के बारे में बताया है. उनके मुताबिक वे वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. उन्होंने पार्टी का आभार जरूर जताया है, लेकिन कांग्रेस छोड़ने का भी ऐलान कर दिया है. ऐसे में एक ही दिन में यूपी कांग्रेस को तीन झटके लग गए हैं. आरपीएन सिंह के साथ उनके दो साथी ने दो पहले ही बीजेपी का दामन थाम लिया है, अब एक प्रत्याशी के इस्तीफे ने इस बिखराव को और ज्यादा बढ़ा दिया है.

जानकारी के लिए बता दें कि आज ही आरपीएन सिंह ने कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया. अटकलें पहले से थीं, लेकिन आज उन्होंने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी. कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे देर से आए लेकिन दुरुस्त आए. उनकी माने तो कांग्रेस पार्टी अब पहले जैसी नहीं रही है. वहीं उन्होंने पीएम मोदी ने नेतृत्व में भी पूरा विश्वास जताया और जोर देकर कहा कि राष्ट्रनिर्माण में बीजेपी का एक छोटा कार्यकर्ता बन वे भी अपना योगदान देना चाहते हैं.

अब ऐसी खबरे हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद से बीजेपी को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो उन्हें पूर्वांचल में मजबूती दे सके. अभी के लिए पार्टी ने आरपीएन सिंह को साथ ला उस कमी को पूरा करने का प्रसास किया है. ऐसी खबरें हैं कि बीजेपी उन्हें इस बार पडरौना सीट से ही प्रत्याशी बना सकती है, जहां से स्वामी के चुनाव लड़ने के चर्चे तेज हैं.

आरपीएन सिंह की बात करें तो वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाते थे. राहुल गांधी के भी वे काफी करीब रहे और उन्हें केंद्र में मंत्री बनने का भी मौका मिला. वे तीन बार विधायक रह चुके हैं और 2009 के लोकसभा चुनाव में पडरौना से ही स्वामी प्रसाद मौर्य को भी पटखनी दे रखी है. अभी के लिए कहा जा रहा है कि यूपी चुनाव में पडरौना एक हाई प्रोफाइल सीट बन सकती है क्योंकि यहां से स्वामी और आरपीएन की सीधी टक्कर संभव है. दोनों ही नेता अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, स्वामी तो यहां तक कह गए हैं कि सपा का कोई मामूली कार्यकर्ता भी उन्हें आसानी से हरा देगा.

अब बीजेपी का अगला कदम क्या होता है, आरपीएन सिंह को चुनावी मौसम में क्या जिम्मेदारी दी जा सकती है, ये आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा.