- लालू यादव के करीबी 10 नेताओं के बागी तेवर से बिहार में बदले सियासी समीकरण, RJD को होगा नुकसान! - May 4, 2024
- बिहार में मौसम विभाग की चेतावनी: पहले गर्मी ने रुलाया, अब आंधी और बारिश मचाएगी तबाही? - May 4, 2024
- Bihar Lok Sabha Election Phase 3: तीसरे चरण में बिहार की इन बड़ी सीटों पर ये दिग्गज उम्मीदवार मैदान में उतरे - May 4, 2024
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में जीत-हार का फैलसा भले ही वोटिंग के बाद होगा, मगर यूपी (UP Chunav) में जारी परसेप्शन की लड़ाई में पल-पल बाजी पलटती दिख रही है. चुनाव से पहले दल बदलने का ट्रेंड कोई नया नहीं है, मगर इस बार बड़े-बड़े विकेट गिर रहे हैं और दल बदलने के साथ ही सियासी हवा का रुख भी पल-पल में बदलता दिखाई दे रहा है. विधानसभा चुनाव से पहले जारी सियासी खींचतान में कभी सपा, भाजपा पर भारी पड़ रही है तो कभी भाजपा, समाजवादी पार्टी को पछाड़ रही है. यूपी की कोई ऐसी बड़ी पार्टी नहीं रही, जिसके बड़े नेताओं ने चुनाव से पहले पाला नहीं बदला है. दस दिन पहले तक भाजपा के तीन मंत्रियों ने ही पाला बदलकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था और ऐसा लगा कि समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौब बन रहा है, मगर भाजपा ने दस दिन के भीतर ही ऐसा काउंटर अटैक किया कि फिर से वह सपा के सियासी माहौल पर अपना दबदबा बनाती नजर आ रही है.
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में स्वामी प्रसाद मौर्य के पाला बदलने से भाजपा के भीतर जो भगदड़ दिखी थी, उससे ऐसा लगा कि यूपी चुनाव में सपा का दबदबा बढ़ता जा रहा है. योगी कैबिनेट का हिस्सा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दो अन्य मंत्रियों और कई विधायकों ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर भाजपा का बड़ा झटका दिया था. स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी, विनय शाक्य समेत कई मंत्रियों-विधायकों के पाला बदलने से सपा के पक्ष में चुनावी माहौल बना. भाजपा में हुई इस बड़ी टूट से जमीन पर हवा का रुख बदला और परसेप्शन की लड़ाई में सपा आगे निकल गई.
मगर भाजपा भी कहां चुप रहने वाली थी. 14 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य समेत अन्य भाजपा नेताओं ने जैसे ही सपा का दामन थामा, उसके तुरंत बाद भाजपा ने बदला लेना शुरू कर दिया और टूट को महाटूट में बदलने से रोका. स्वामी समेत कई विधायकों के टूटने से जो भाजपा को नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई के लिए भाजपा ने अखिलेश यादव के परिवार में ही सेंधमारी कर दी. मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव, साढ़ू प्रमोद गुप्ता और समधी को पार्टी में शामिल कराकर भाजपा ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए कि वह सपा के पक्ष में माहौल नहीं बनने देगी. इतना ही नहीं, सपा में शामिल हुए विधायक विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य को भाजपा ने टिकट देकर मुकाबले को और भी ज्यादा मजेदार बना दिया है.
हालांकि, अब तक भाजपा का यह बदला उस कमी को पूरा नहीं कर पा रही थी, जो स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से हुई थी. तब भाजपा ने कांग्रेस में सेंधमारी की और उसके दशकों पुराने साथी को ही अपने पाले में मिला लिया. स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे ओबीसी नेता की कमी से जूझ रही भाजपा ने पडरौना के राजा के नाम से मशहूर और मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके आरपीएन सिंह को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. इस तरह से चुनाव से पहले परसेप्शन की लड़ाई में भाजपा फिर से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से आगे निकल गई. इतना ही नहीं, राय बरेली से कांग्रेस की खास सदस्य रह चुकीं अदिति सिंह को भी भाजपा ने टिकट देकर अपने पक्ष में माहौल को और मजबूत कर लिया.
भाजपा ने सपा के पक्ष में बने सियासी माहौल को खत्म करने के लिए कांग्रेस से लेकर बसपा, समाजवादी पार्टी में बड़ी सेंधमारी की. सिरसागंज से सपा विधायक हरिओम यादव, सादाबाद से बसपा के विधायक रामवीर उपाध्याय, कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण, रायबरेली की हरचंदपुर से कांग्रेस के विधायक राकेश सिंह, बेहट से कांग्रेस विधायक नरेश सैनी आदि को टिकट देकर परसेप्शन की लड़ाई में भाजपा सपा से आगे निकल चुकी है. हालांकि, परसेप्शन की इस लड़ाई से अधिक चुनावी मैदान की लड़ाई मायने रखती है. देखने वाली बात होगी कि जब यूपी के सातों चरणों के चुनाव के नतीजे जब 10 मार्च को आएंगे तो उसमें किसकी हार-जीत होती है.