छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले भूपेश बघेल का आरक्षण पर बड़ा फैसला, किसे मिलेगा कितना फायदा?

Before the elections in Chhattisgarh, Bhupesh Baghel's big decision in the reservation case, who will get how much benefit?
Before the elections in Chhattisgarh, Bhupesh Baghel's big decision in the reservation case, who will get how much benefit?
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रायपुर : राजधानी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर कैबिनेट की बैठक प्रदेश की जनता के लिए अहम फैसला लिया गया। कैबिनेट की बैठक लगभग 2 घंटे से ज्यादा चली। इस बैठक में प्रदेश में ST-SC,OBC के लिए आरक्षण के मसले पर चर्चा की गई। जिसमें प्रदेश में ST-SC OBC के लिए 58 फीसती आरक्षण लागू करने का फैसला लिया गया है। पूर्ववर्ती सरकार ने 58 फीसदी आरक्षण नीति तय की थी, जिसे तात्कालिक भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मान्य किया था। बघेल कैबिनेट ने उसे शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए भी मान्य कर दिया है।

दरअसल आज कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि “राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं में पहले से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था के हिसाब से प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सुप्रिम कोर्ट ने 1 मई 2023 के आदेश दिया था कि राज्य में पहले से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था के अनुसार नियुक्ति और चयन प्रक्रियाओं को जारी रखा जाए। आज मंत्रिपरिषद की बैठक में कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश प्रक्रिया पहले से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था के अनुसार करने का निर्णय लिया है।

आरक्षण मामले को लेकर लंबे समय से चल रहा है विवाद
प्रदेश में आरक्षण को लेकर लंबे समय से कई तरह के मसले सरकार और न्यायालय दोनों में चल रहे थे। 2012 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने आरक्षण के स्वरूप में कई तरह के बदलाव किए थे। जिसमें SC का आरक्षण 12 फीसदी, ST का आरक्षण 32 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 फीसदी कर दिया था। इससे आरक्षण 58 फीसदी हो गया था। इस मसले पर करीब दस साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई और हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण के फैसले को खारिज कर दिया। लेकिन जब यह मसला सुप्रीम कोर्ट गया तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे कुछ शर्तों पर स्वीकार किया।

आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं
इसी बीच भूपेश सरकार ने एक और आरक्षण बिल पेश कर दिया। इस आरक्षण संशोधन बिल को विधानसभा में 2 दिसंबर को मंज़ूरी दी गई। इसमें ST को 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, SC के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को मंज़ूरी दी गई। इससे आरक्षण का प्रतिशत 76 फीसदी हो गया। राजभवन में इस विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।

आरक्षण मसले पर राजभवन ने उठाया प्रश्न
प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किए। जिसे लेकर राजभवन‌ ने कई विधिक प्रश्न खड़े किए हैं।‌ तत्कालीन राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके ने इस मसले पर दो टूक सवाल किया था। कि “जब 58 फीसदी आरक्षण को कोर्ट ने मंजूरी नहीं दी तो 76 फीसदी को मंज़ूरी कैसे मिलेगी। यदि यह मसला कोर्ट गया जो कि जाएगा ही तो सरकार यह बताए कि उसके पास क्या विधिक जवाब है?”

आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर कई बार देखी गई तीखी बयान बाजी
छत्तीसगढ़ में विधानसभा में पारित आरक्षण संशोधन विधेयक बिल पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया। जिस पर राजभवन ने सरकार से सवाल किया। लेकिन इसको लेकर मौजूदा कांग्रेस सरकार और उनके मंत्रियों की तरफ से कई तरह की बयानबाजी की गई। वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इस पर कई तरह के सवाल भी खड़े किए। बीजेपी ने कांग्रेस पर प्रदेश के युवाओं से छल करने का आरोप लगाया। तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होना, बीजेपी और राजभवन की मिलीभगत बताया था।