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हिसार। ग्वार की पसल कब किस को राजा बना दे और कब रंक बना दे यह कह पाना आसान नहीं है। दो दिन के अंदर ही ग्वार की फसल के रेट में कुछ इस तरह के बदलाव सामने आए कि सब लोग हैरान है। मगर इसके अंदर की कहानी क्या है, इसके बारे में अब सब जानना चाहते हैं। मंगलवार को जहां ग्वार की फसल का भाव खुले में 7 हजार के आसपास चल रहा था वहीं बुधवार को सुबह 8100 वाला ग्वार लगातार छलांग लगाते हुए 12600 की ऊंचाई पर पहुंच गया। इस भाव पर भी जमकर खरीददारी हुई। लेकिन महज 40-45 मिनट बाद ही इसमें गिरवाट का दौर शुरु हुआ और गिरते-गिरते ग्वार बुधवार शाम तक यह 7500 रुपये पर आकर ठहर गया।
यानि बुधवार को हरियाणा और इसकी आसपास की अनाज मंडी में 4500 रुपए की बढ़त के बाद 5100 रुपए की भयंकर गिरवाट दर्ज की गई। मगर वीरवार को गिरावट और भी बढ़ गई। ज्यादातर मंडियों में भाव 7 हजार के पास या इससे भी कम खुला। बोली लगातार गिर रही थी। ऐसे में बुधवार को जिन्होंने ज्यादा भाव में ग्वार बेचा उनकी चांदी हो गई और जिसने महंगे दाम में खरीदा उन्हें ग्वार का रेट दोबारा से आने की उम्मीद है।
राजस्थान की बात की जाए तो हनुमानगढ़ में ग्वार का सबसे महंगा भाव देखने को मिला। हनुमानगढ़ में ग्वार 13700 रुपये प्रति क्विंटल बिका। रावतसर मंडी में ग्वार का भाव 11000 रुपये, पल्लू मार्केट में 12220 रुपये और नोहर में 12200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका। यूपी में सबसे महंगा भाव वाराणसी में देखने को मिला। यहां ग्वार का भाव 3400 से 3855 रुपए क्विंटल रहा। महाराष्ट्र के सांगली में ग्वार का भाव 3350 से 3705 रुपये क्विंटल रहा। तो सवाल यह है कि आखिर हरियाणा और राजस्थान में ही ग्वार का रेट क्यों बढ़ रहा है। क्या इसकी मांग इतनी बढ़ गई है। इसका प्रयोग कहां होता है।
क्या है कारण भाव के बढ़ने का
आदमपुर के प्रसिद्ध ब्रोकर बलवीर सिंह का कहना है कि ग्वार में आई तेजी का इस बार कोई आधार नहीं है। अफवाहों के चलते ग्वार में तेजी आ रही है। बाजार में इस समय खरीददार व्यापारी नहीं है बल्कि किसान है। क्योंकि उसने ग्वार को स्टॉक भी किया हुआ है। मगर अब इसमें व्यापारी भी हाथ आजमा रहे हैं। किसान पैसे कमाने के लालच में अपनी सरसों बेचकर ग्वार व्यापारियों से खरीदकर स्टॉक कर रहा है। बिना किसी ठोस कारण के ग्वार की जोरदार खरीद होने से साफ है कि यह तेजी महज कुछ समय की है। इस तेजी में ग्वार की खरीद करने वाले काफी नुकसान में रह सकते हैं।
आढ़ती सुशील कुमार का कहना है कि केवल राजस्थान और हरियाणा की कुछ मंडियों में तेजी होने का कारण यहां के किसानों के पास पैसा होना है। पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसान मंडी से अनाप-शनाप रेट पर ग्वार खरीदकर स्टॉक कर रहा है। व्यापारी अनुज गोयल का कहना है कि यदि देशभर की स्थिती देखी जाए तो महाराष्ट्र और यूपी में ग्वार का भाव आज भी 3700-3800 रुपए के बीच चल रहा है। केवल हरियाणा और राजस्थान में आई तेजी के पीछे महज कुछ अफवाहें काम कर रही है।
दरअसल ग्वार का प्रयोग कई तरह के ब्यूटी प्रोडेक्ट में होता है। वहीं इसका ग्वार गम भी बनाया जाता है। कच्चे तेल को शोधने के प्लांट में भी इसका प्रयोग तेल के टैंकों में किया जाता है। करीब पांच साल पहले भी ग्वार करीब 30 से 35 हजार रुपये प्रति क्विटल के हिसाब से बिका था। मगर इसके अगले ही साल भाव तेजी से नीचे आते आते तीन हजार प्रति क्विंटल हो गई। ग्वार सूखता भी नहीं है तो इसमें किसी तरह के कीट भी नहीं पनपते हैं। निकालने के बाद यह कहीं भी रखा जा सकता है और यह जल्दी खराब नहीं होता है। यही कारण है कि इसका स्टॉक कुछ लोग लंबे समय से कर रहे हैं।
मगर क्या इसकी डिमांड एक दम से इतनी बढ़ सकती है। यह अपने आप में बड़ा सवाल है। इस साल की ग्वार की फसल अभी पकी नहीं और इसके मंडी में आते ही फिर से भाव तेजी से नीचे जाएंगे। मगर अफवाहों पर ध्यान देकर ग्वार में रुपये इन्वेस्ट करने वाले लोगों को सतर्क रहने की जरुरत है। क्योंकि इससे फायदा हो सकता है तो नुकसान भी बहुत ज्यादा हो सकता है। बीते एक दिन में हुई उठा पटक से ही हम यह समझ सकते हैं कि आखिर किस तरह से भाव गिरता और बढ़ता है। ग्वार की फसल एमएसपी पर नहीं बेची जाती है। इसकी पैदावार भी कम नमी वाली जगहों पर ही होती है ओर राजस्थान और हरियाणा में बिरानी क्षेत्राें में इसका उत्पादन ज्यादा होता है। क्योंकि ज्यादा पानी वाली जगह पर यह फसल खराब हो जाती है।