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अगर आप स्टॉक मार्केट से शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो बहुत जल्द ही आपको नई और खास सुविधा का फायदा मिल सकता है। दरअसल, मौजूदा समय में शेयरों की खरीद-बिक्री के बाद सौदे सेटल होने में 1-2 कारोबारी दिन लगता है। सौदे का सेटलमेंट इस बात पर निर्भर करता है कि आपने जो शेयर खरीदा है, वो किस सेटलमेंट साइकिल में है लेकिन अब ये सेटलमेंट शेयर खरीदने के तुरंत बाद होने की संभावना है। मार्केट रेगुलेटर भारतीय सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने इस पर खास जानकारी दी है।
सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने कहा कि सेम-डे सेटलमेंट को मार्च 2024 से शुरू करने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इसके बाद तुरंत सेटलमेंट के विकल्प पर भी काम किया जाएगा। महाराष्ट्र के मुंबई में सेबी बोर्ड बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए माधबी पुरी बुच ने कहा कि तुरंत सेटलमेंट (Instantaneous Settlement) के लिए मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर और ब्रोकर्स ने तकनीकी चुनौतियों से निपटने पर जोर दिया है। शुरुआती दौर में ही में हम सौदों को एक घंटे की देरी से नहीं बल्कि T+0 के बाद तुरंत सेटलमेंट की सुविधा को लाना चाहते हैं।
माधबी पुरी बुच ने अब तक इस योजना पर चल रहे काम को लेकर संतुष्टि भी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “अभी तक इस पर बेहतर तरीके से काम हो रहा है और इस पर हमने बहुत चर्चा की है। इसका खाका लगभग तैयार हो चुका है। यह एक सामानांतर व्यवस्था है, जो पूरी तरह से वैकल्पिक होगी।”
इसी साल जनवरी में लागू हुआ था T+1 सेटलमेंट
इसे लागू करने की समयावधि पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाजार के भागीदारों ने हमें बताया है कि पहले T+0 को शुरू करना चाहिए और फिर उसके बाद तुरंत सेटलमेंट की व्यवस्था को लागू किया जाए। T+0 को मार्च के अंत तक लागू करने की तैयारी है और फिर इसके करीब एक साल तुरंत सेटलमेंट की सुविधा को लागू किया जाएगा। इसी साल जनवरी महीने में T+1 सेटलमेंट को लागू किया गया था, जहां एक ही कारोबारी दिन में सौदे को सेटलमेंट पूरा कर दिया जाता है।
विदेशी निवेशकों के लिए महंगा सौदा?
इसके पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि एक ही दिन में सौदे सेटलमेंट करने की योजना को लेकर मार्केट रेगुलेटर को विदेशी निवेशकों ने सपोर्ट नहीं किया था। उनका मानना है कि इससे उनके ट्रेडिंग का खर्च बढ़ सकता है। एक ही दिन में किसी सौदे का ट्रांजैक्शन पूरा करने के लिए विदेशी निवेशकों को अपने फंड्स को भारतीय रुपए में एक दिन पहले ही कन्वर्ट करना होगा। T+1 और T+2 सौदों में उनके पास यह सुविधा मिलती थी।