BJP-RLD गठबंधन पर PM मोदी की मुहर! चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, सीटों पर सहमति, घोषणा की तारीख भी तय

PM Modi's seal on BJP-RLD alliance! Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh, agreement on seats, date of announcement also fixed
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नई दिल्ली। कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के यूपी में एंट्री से पहले इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका लगना तय हो गया है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और आरएलडी के बीच अलायंस के फॉर्मूले पर लगभग सहमति बन गई है. किसी भी वक्त सीट अलायंस का ऐलान किया जा सकता है. बीजेपी और आरएलडी के शीर्ष नेतृत्व के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही है. इसके पॉजिटिव नतीजे आने भी शुरू हो गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और आरएलडी में गठबंधन तय हो गया है. आरएलडी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ये दो सीटें बागपत और बिजनोर होंगी. इसके अलावा, जयंत चौधरी की पार्टी RLD को एक राज्यसभा सीट भी दी जाएगी. दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान दो से तीन दिन में हो जाएगा. कांग्रेस की राहुल गांधी के नेतृत्व में न्याय यात्रा 14 फरवरी को यूपी के चंदौली में एंट्री करेगी. उसके बाद प्रदेश में 11 दिन तक यात्रा चलेगी.

‘आरएलडी अभी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा’

एनडीए से गठबंधन को लेकर क्या बोली RLD?
बताते चलें कि विपक्षी दल लगातार दावा कर रहे हैं कि जयंत चौधरी और उनकी पार्टी RLD ‘इंडिया’ ब्लॉक का हिस्सा है और आम चुनाव में मिलकर लड़ेंगे. हालांकि, जयंत ने इस संबंध में चुप्पी साध रखी है. कहते हैं कि उन्होंने अपने दरवाजे दोनों तरफ खोल रखे थे.

‘लगातार दो चुनाव से हार रही है आरएलडी’

पश्चिमी यूपी को जाट, किसान और मुस्लिम बाहुल्य इलाका माना जाता है. यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि 8 सीटों पर विपक्षी गठबंधन ने कब्जा किया था. इनमें 4 सपा और 4 बसपा के खाते में आई थी. लेकिन, आरएलडी को किसी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी. यहां तक कि जयंत को पश्चिमी यूपी में जाट समाज का भी साथ नहीं मिला था. यही नहीं, 2014 के चुनाव में भी जयंत को निराशा हाथ लगी थी और एक भी सीट नहीं मिली थी.

‘आरएलडी को मुजफ्फरनगर से भी मिली थी हार’

2019 के आम चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी RLD ने सपा-बसपा के साथ गठबंधन में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों सीटों पर दूसरे नंबर पर आई थी. जयंत चौधरी अपने पुश्तैनी क्षेत्र बागपत से चुनाव लड़े और बीजेपी के डॉ. सतपाल मलिक से 23 हजार वोटों से हार गए थे. मथुरा से आरएलडी के कुंवर नरेंद्र सिंह को हेमा मालिनी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इसी तरह जाटों के लिए बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली मुजफ्फरनगर सीट से अजित सिंह पहली बार चुनाव लड़े थे और बीजेपी के संजीव बालियान से 6500 से ज्यादा वोटों से हार गए थे. अजित और जयंत चौधरी को सपा-बसपा के अलावा कांग्रेस का भी समर्थन मिला था. यह लगातार दूसरा आम चुनाव था, जब चौधरी परिवार को खाली हाथ रहना पड़ा था.

2014 में आरएलडी का 0.9% था वोट शेयर

पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की इस छोटी जीत से पश्चिमी यूपी की राजनीति में बड़ा संदेश गया. दंगों के कारण चर्चा में आई मुजफ्फनगर सीट पर बीजेपी की जीत को पोलराइजेशन का नतीजा माना गया था. संजीव की जीत से मुजफ्फरनगर में चौधरी परिवार की एंट्री नहीं हो पाने की बातों भी बल मिला था. आरएलडी को 2014 के चुनाव में सिर्फ 0.9% वोट मिले थे. तब सपा और कांग्रेस का साथ मिला था. लेकिन, 2019 के चुनाव में बसपा के भी साथ आने से आरएलडी का वोट प्रतिशत बढ़ गया था और 1.7% वोट शेयर हो गया था.

‘मोदी लहर में दिग्गज नेता भी नहीं बचा पाए सीट’

इससे पहले 2014 के चुनाव में आरएलडी ने कांग्रेस के साथ मिलकर 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर निराशा हाथ लगी थी. मथुरा से जयंत चौधरी को हार मिली थी. बागपत से अजित सिंह, अमरोहा से राकेश टिकैत, बिजनौर से एक्ट्रेस जया प्रदा, बुलंदशहर से अंजू उर्फ मुस्कान, फतेहपुर सीकरी से अमर सिंह, हाथरस से निरंजन सिंह धनगर, कैराना से करतार सिंह भड़ाना मैदान में उतरे थे और इन सभी को हर मिली थी. एक्ट्रेस जयाप्रदा रामपुर संसदीय सीट से लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव जीतीं, लेकिन बिजनौर में करारी हार का सामना करना था. बिजनौर में रालोद के टिकट पर चुनाव में उतरीं जयाप्रदा को सिर्फ 24348 वोट मिले थे. सपा छोड़कर आरएलडी से चुनाव लड़ रहे अमर सिंह के समर्थन में प्रचार करने के लिए फतेहपुर सीकरी में कई फिल्मी स्टार उतरे थे, जिससे यह चुनाव सुर्खियों में रहा था. लेकिन, अमर सिंह वोटर्स की पसंद नहीं बन पाए थे.