पंजाब में भाजपा का सबसे बडा ऐक्शन, पूरे राजनीति जगत में मची खलबली, यहां देंखे

BJP's biggest action in Punjab, there was panic in the entire political world, see here
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नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के प्रमुख कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर मुहर लग गई है. कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में जाएंगे और 19 सितंबर को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेंगे. इस बात की जानकारी पीएलसी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने दी है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रवक्ता ने कहा कि 19 सितंबर यानी सोमवार को पंजाब लोक कांग्रेस का भाजपा में विलय भी होगा.

80 साल के कैप्टन ने दिया था इस्तीफा

80 साल के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद पिछले साल कांग्रेस छोड़ दी थी और पीएलसी का गठन किया था. पीएलसी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने बताया कि पीएलसी में शामिल हुए सात पूर्व विधायक और एक पूर्व सांसद भी सोमवार को भाजपा में शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि पीएलसी के अन्य पदाधिकारी और जिला अध्यक्ष अगले सप्ताह चंडीगढ़ में एक अलग कार्यक्रम में भाजपा में शामिल होंगे.

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अमित शाह से बीते दिनों हुई थी मुलाकात

दरअसल, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के बाद लंदन से हाल में लौटे अमरिंदर सिंह ने बीते पखवाड़े में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. अमरिंदर सिंह ने 12 सितंबर को शाह के साथ अपनी मुलाकात के बाद कहा था कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, पंजाब में मादक पदार्थ-आतंकवाद के बढ़ते मामलों और राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए भविष्य की रूपरेखा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बहुत सार्थक चर्चा की.

चन्नी को सीएम बनाए जाने से थे नाराज

भाजपा की पंजाब इकाई के नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने जुलाई में कहा था कि अमरिंदर सिंह ने लंदन जाने से पहले भाजपा में अपनी पार्टी के विलय का इरादा जताया था. ग्रेवाल ने उस समय कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री लंदन से लौटने के बाद विलय की घोषणा करेंगे. दो बार मुख्यमंत्री रह चुके सिंह पूर्ववर्ती पटियाला शाही परिवार के वंशज हैं. उन्होंने पिछले साल चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

पीएलसी को मिली थी करारी हार

पीएलसी ने भाजपा और सुखदेव सिंह ढींढसा की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि, उसका एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया था और खुद अमरिंदर सिंह को भी अपने गढ़ पटियाला शहरी सीट पर शिकस्त मिली थी.