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मुनस्यारी : चीन सीमा से लगे उत्तराखंड के दो सीमांत जिले पिथौरागढ़ और चमोली को टनल के जरिए जोडऩे की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से सीमांत के लोग गदगद हैं। इस कवायद के धरातल पर उतर जाने से सीमांत के लोग एक दिन में बद्रीनाथ धाम पहुंच सकेंगे। उच्च हिमालयी क्षेत्र में शीतकाल में भारी हिमपात के बाद भी आवागमन बाधित नहीं होगा। पिथौरागढ़ और चमोली जनपदों की सीमा वापस में लगी हुई है, लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र में दोनों जनपद आज तक सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। दोनों जनपदों के लोगों को आवागमन के लिए मैदानी क्षेत्र में उतरना पड़ता है। चमोली पहुंचने के लिए वाया बागेश्वर या फिर वाया हरिद्वार ही चमोली पहुंचा जा सकता है। इस यात्रा में लंबा समय लगता है। दोनों जिलों के लोग लंबे समय से उच्च हिमालय में आवागमन की सुविधा विकसित किए जाने की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते रोज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने यह मामला रखा और उनसे मांग की कि पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील की व्यास, दारमा और मुनस्यारी तहसील की जौहार वैली के उच्च हिमालयी क्षेत्र में टनल के जरिए आवागमन की सुविधा दी जाए। इससे दोनों जिले वापस में जुड़ जाएंगे। मल्ला जौहार विकास समिति के अध्यक्ष राम सिंह धर्मशक्तू, समाजसेवी देवेंद्र सिंह देवा ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे दोनों जनपदों को फायदा मिलेगा। समिति ने मुनस्यारी थल मोटर मार्ग में बिर्थी से पातलथौड़ तक भी टनल बनाए जाने की मांग की है। इस टनल के बन जाने से जहां मुनस्यारी की दूरी 23 किमी. कम हो जाएगी, वहीं शीतकाल में भी यह सड़क बंद नहीं होगी।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ की धारचूला, मुनस्यारी तहसीलों के चमोली जनपद से सीधे जुड़ जाने से सीमांत के लोगों के लिए बद्रीनाथ धाम पहुंचना आसान हो जाएगा। मुनस्यारी से धाम की दूरी मात्र 100 किमी. रह जाएगी जो तीन घंटे में पूरी हो जाएगी।अभी जिले के लोगों को बद्रीनाथ पहुंचने में 15 से 18 घंटे का समय लगता है। शीतकाल में उच्च हिमालय में आवागमन चलता रहेगा। सुरक्षा बलों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। क्षेत्र में पर्यटन का भी विकास होगा। चमोली जनपद के लोग मुनस्यारी, छोटा कैलाश तक आसानी से पहुंच सकेंगे।