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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा करीब 1500 करोड़ कीमत की सार्वजनिक जमीन पर डीएलएफ से कब्जा मुक्त कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस एचएसवीपी के एस्टेट ऑफिस टू की तरफ से डीएलएफ को दिया गया है। इतना ही नहीं यह ग्रीन बेल्ट पर कब्जा होने के कारण एनजीटी में केस चल रहा है। इसमें सोमवार को सुनवाई भी थी, जिसमें अगली डेट मिल दी गई। उधर एचएसवीपी की कार्रवाई में इस मामले की जांच जारी है और डीएलएफ को इसे तुरंत खाली करने को कहा गया है।
एचएसवीपी द्वारा जारी किए प्रपत्र (संख्या मेमो-1403) में लिखा गया है कि सूचना और शिकायत में पता चला है कि एचएसवीपी की सेक्टर-24 और 25ए की 1500 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर अधिकारियों की मिलीभगत और धोखाधड़ी से कब्जा कर लिया गया है। इसका उपयोग डीएलएफ समूह की कंपनियों द्वारा किया गया है। इसके लिए धोखे और अधिकारियों की भी मूक सहमति से कंप्लीशन सर्टिफिकेट लिया गया है। ऐसे में विभाग ने इसे खाली करवाने के लिए नोटिस भेज दिया है।
17 स्थानों पर है कब्जा
सेक्टर 24 और 25 ए में कमर्शल, रेजिडेंशल और अन्य इलाकों की जमीन पर डीएलएफ ने 17 स्थानों पर अतिक्रमण करके सड़क और अन्य निर्माण किया है। यह मामला जब एचएसवीपी के संज्ञान में लाया गया तो जांच में पता चला कि कुल 17 स्थानों पर डीएलएफ द्वारा सार्वजनिक उपयोग के स्थानों जैसे पार्कों, ग्रीन बेल्ट आदि पर सड़क बना दी गई है। जमीन तीस नवंबर 2009 को रिहायशी, कमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल निर्माण और विकास के लिए अधिग्रहित की गई थी। इस बारे में पहली शिकायत एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) गुड़गांव में 2020 में दी गई थी। उसके बाद दिसंबर 2023 में फिर से शिकायत मिलने पर एस्टेट ऑफिस टू ने इस जमीन को खाली करने के लिए नोटिस भेजा और इसकी जांच शुरु हो गई है। इसके अलावा इसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी एक केस चल रहा है जिसकी सुनवाई चल रही है।