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पटना: जेडीयू में जारी घमासान के बीच उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि वे खुद नहीं, बल्कि सीएम नीतीश कुमार की पहल पर पार्टी में शामिल हुए। जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्टी नेता के कहने पर 2009 और 2021 में वह जेडीयू में आया। जेडीयू जब कमजोर हो गई थी तो नीतीश ने फोन कर बुलाया और कहा कि संभालिए। मैं अपने बेटे की कसम खाने को तैयार हूं। पार्टी नेता से अनुरोध है कि अपना-पराया को पहचानें।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि किसी के कहने से पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा। जेडीयू में मेरी हिस्सेदारी है और हिस्सा लेकर रहूंगा। क्या हिस्सेदारी है, इस सवाल को टालते हुए उपेंद्र ने कहा कि आखिर हम अपनी बात पार्टी के किस मंच पर रखें। हम पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने की दुबारा मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि आज जिसको (तेजस्वी) आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं, उन्होंने बतौर नेता प्रतिपक्ष कैसी अमर्यादित टिप्पणी की थी।
कुशवाहा ने कहा कि 2009 में 17 सीट हारने और 2020 में विधानसभा चुनाव में 43 सीट पर सिमटने के बाद जब नीतीश कुमार को लगा कि जेडीयू कमजोर हो गई है, तो उन्होंने मुझे याद किया। पिछले महीने जब मैंने उन्हें बताया कि जेडीयू कमजोर हुई है तो मुझे कहा गया कि बीजेपी में जाने का मन है क्या। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि हकीकत है कि जेडीयू बर्बाद हो रही है। आने वाले दिनों में पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई भी नहीं हो सकती है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुझे 2 फरवरी को जगदेव जयंती के आयोजन से रोका जा रहा है। कह रहे हैं कि पार्टी के अलावा किसी अन्य संगठन से आयोजन नहीं कर सकते। कुशवाहा ने कहा कि हाल ही में महाराणा प्रताप की जयंती का जो आयोजन हुआ था, क्या वो पार्टी ने करवाया था? वो भी तो किसी सामाजिक संगठन के बैनर तले आयोजित हुआ। फिर मुझे जगदेव जयंती मनाने से क्यों रोका जा रहा है। रालोसपा का सिंबल बचे रहने के सवाल पर कहा कि हमने लिखकर विलय की बात बता दी थी। उसके बाद पता नहीं है कि क्या हुआ।