नागौर सीट पर एक परिवार का दबदबा, 18 में से 9 बार जीता चुनाव; अब मैदान में तीसरी पीढ़ी

Dominance of one family on Nagaur seat, won elections 9 times out of 18; Now third generation in the field
Dominance of one family on Nagaur seat, won elections 9 times out of 18; Now third generation in the field
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जयपुर। Lok Sabha Election 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनावों में नागौर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। पिछले अठारह चुनावों में सबसे ज्यादा नौ बार इस परिवार के सदस्यों ने बाजी मारी है। इनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा सर्वाधिक छह बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। आगामी 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में मिर्धा परिवार की सदस्य और नाथूराम मिर्धा की पोती और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा फिर चुनाव लड़ रही हैं। यहां उनका मुकाबला पिछली लोकसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त देने वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रितक पार्टी (रालोपा) के संयोजक हनुमान बेनीवाल से है। हालांकि ज्योति मिर्धा पिछला चुनाव कांग्रेस से लड़ा था और इस बार वह कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आ गई और वह भाजपा प्रत्याशी के रुप में यहां से फिर चुनाव मैदान में हैं।

नागौर सीट पर पिछली बार हुए चुनावों में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और इसके बाद चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन बाद में उन्होंने गठबंधन को तोड़ लिया और वह गत विधानसभा में खींवसर से फिर रालोपा उम्मीदवार के रुप में विधायक चुने गए और अब उनका विपक्ष के इंडिया गठबंधन के साथ गठबंधन हुआ है। कांग्रेस ने इसके लिए यह सीट हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी है।

नागौर में अब तक एक उपचुनाव सहित अठारह बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में मिर्धा परिवार के नाथूराम मिर्धा साल 1971 और 1977 में कांग्रेस और साल 1980 में कांग्रेस यू उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वह साल 1984 में अपने ही परिवार के सदस्य और कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास मिर्धा से चुनाव हार गए थे। इसके बाद नाथूराम मिर्धा ने साल 1989 में जनता दल प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और फिर जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने साल 1991 में फिर कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़कर पांचवीं बार लोकसभा पहुंचे। इसके बाद साल 1996 के चुनाव में वो एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रुप छठी बार सांसद बने।

उनके निधन के बाद साल 1997 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र भानू प्रकाश मिर्धा ने भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह मिर्धा परिवार की आठवीं जीत थी। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा चुनाव मैदान में उतरीं और वह कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में जीत हासिल करके पहली बार लोकसभा पहुंची। मिर्धा परिवार की यह जीत नौवीं जीत थी।

नागौर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में सर्वाधिक ग्यारह बार कांग्रेस ने जीत हासिल कर अपना दबदबा बनाया, जबकि भाजपा ने तीन बार, स्वतंत्र पार्टी ने दो बार, जनता दल और रालोपा ने एक-एक बार चुनाव जीता। इनमें साल 1952 के पहले चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के जी डी सोमानी, वर्ष 1957 कांग्रेस के मथुरादास माथुर, 1962 में कांगेस के एस के डे, 1967 में स्वतंत्र पार्टी के एन के सोमानी , 1998 और 1999 में कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी ने जीत दर्ज की। 2004 में भाजपा के भंवर सिंह डांगावास और 2014 सी आर चौधरी ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

उल्लेखनीय है कि इस बार चुनाव में ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल के अलावा बहुजन समाज पार्टी (BSP) के गजेन्द्र सिंह राठौड़, राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी (सेक्युलर) और अभिनव राजस्थान पार्टी के अशोक चौधरी के साथ ही चार निर्दलीयों सहित नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। इस चुनाव में ज्योति और बेनीवाल के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं।