हिमाचल में धूमधाम से मना दशहरा पर्व, धू-धू कर जले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद

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देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में दशहरा पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। प्रदेश की राजधानी शिमला में प्रसिद्ध जाखू मंदिर में  शाम साढ़े पांच बजे रावण के पुतले का दहन किया गया। डीसी आदित्य नेगी ने मशाल से पुतलों को आग लगाई। जाखू में इस बार रावण का पुतला 35 फीट ऊंचा, कुंभकर्ण 30 और मेघनाद का पुतला 25 फीट का था। मंदिर में दशहरा उत्सव के समय 50 फीसदी क्षमता के साथ लोगों को प्रवेश दिया गया। कोरोना के चलते इस बार दशहरा उत्सव का आयोजन छोटे स्तर पर किया गया। अन्य सालों की तरह मंदिर में दर्शन और दशहरा उत्सव देखने आने वाले लोगों के लिए स्पेशल एचआरटीसी टैक्सी की सुविधा भी नहीं मिली।

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा : राज्यपाल 
उधर, सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का विधिवत शुभारंभ राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। उन्होंने भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में भाग लिया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा भी उपस्थित रहे। राज्यपाल ने दशहरा के अवसर पर प्रदेशवासियों विशेषकर घाटी के लोगों को बधाई दी। कहा कि यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिमाचल प्रदेश की संस्कृति अनूठी है और इसकी एक अलग पहचान है। कुल्लू जिले के 332 देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। इसमें करीब 200 देवी-देवता भाग ले रहे हैं। इससे पहले भुंतर हवाई अड्डे में आगमन पर राज्यपाल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस दौरान उपायुक्त आशुतोष गर्ग और पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा उपस्थित रहे। 

विजयदशमी पर कालीबाड़ी से मां दुर्गा को दी गई विदाई
वहीं, कालीबाड़ी हाल में स्थापित मां दुर्गा के दर्शनों के लिए भक्ताें का तांता लगा रहा। हाल में सुबह से ही हजारों की तादाद में लोग दर्शनों के लिए पहुंचे। यहां सुबह ग्यारह से साढ़े ग्यारह बजे तक मां दुर्गा का मीठा करवाया गया। इसके बाद सिंदूर खेला खेलकर मां की विदाई की गई। सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया। दोपहर सवा बारह बजे के करीब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की धर्मपत्नी साधना ठाकुर भी मां के दर्शनों के लिए मंदिर में आई। कालीबाड़ी मंदिर कमेटी के सचिव सोमनाथ प्रमाणिक ने यह जानकारी दी। हाल में इस दौरान धनूची नृत्य किया गया। सवा दो बजे के करीब मां की मूर्तियों को गाड़ी में तारादेवी स्थित आईटीबीपी लाया गया। यहां पर पौने चार बजे के करीब मां का तालाब में विसर्जन किया। इस दौरान नगाड़ा बजाया गया और साथ आए लोगाें ने आरती की। बताया जा रहा है कि मंदिर में शनिवार से रुटीन में मंदिर के भीतर कोविड प्रोटोकॉल के तहत मां के दर्शन करने दिए जाएंगे। इस अवसर पर कमेटी समेत अन्य लोग यहां पर मौजूद रहे।