भारत आए विदेशी चीतों को इन खूंखार लड़ाकों से है खतरा, लड़ाई हुई तो टिक नहीं पाएंगे!

Foreign cheetahs who came to India are in danger from these dreaded fighters, they will not be able to survive if there is a fight!
Foreign cheetahs who came to India are in danger from these dreaded fighters, they will not be able to survive if there is a fight!
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नई दिल्ली : अफ्रीकी देश नामीबिया से हवाई जहाज में बैठाकर लाए गए आठ चीते मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के नए माहौल में ढलने की कोशिश कर रहे हैं। चीते आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते और इन्हें इंसानों से दूर रहना ही अच्छा लगता है। ऐसे में इन पर निगरानी के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। ‘जंगल न्यूज’ की पिछली कड़ी में आप पढ़ चुके हैं कि मांसाहारी जानवर एक दूसरे को दुश्मन समझते हैं और ऐसे में इन आठ चीतों के लिए भी खतरा बना रहेगा। जी हां, कुनो के जंगलों में कई तेंदुए मौजूद हैं।

एक रिपोर्ट की मानें तो हर 100 वर्ग किमी पर वहां करीब 9 तेंदुए हो सकते हैं। ऐसे में अफ्रीका से आए विदेशी मेहमानों यानी चीतों का इन तेंदुओं से संघर्ष हो सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर इस तरह की लड़ाई होती है तो चीते को जोखिम ज्यादा है क्योंकि तुलनात्मक रूप से तेंदुए ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। हालांकि यह भी सच है कि तेंदुए और चीते साथ-साथ जंगल में रहते आ रहे हैं।

खतरा तो शेर से भी है लेकिन…
चीतों को खतरा तो शेर से भी होता है। लेकिन भारत में इस समय शेर केवल गुजरात में हैं। उन्हें कुनो लाने पर मंथन चल रहा है। आने वाले समय में साथ-साथ रहने का ईकोसिस्टम विकसित करने के लिए सरकार कुनो पार्क में बाघ, शेर, चीता और तेंदुआ सबको रखने पर विचार-विमर्श कर रही है।

चीता स्पोर्ट्स कार तो तेंदुआ टैंक है!
ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि अगर तेंदुआ और चीते की फाइट होती है तो कौन किस पर भारी पड़ेगा। अगर चीता बहुत बड़ा है और तेंदुआ देखने में छोटा हो तो भी चीते के पास वो आक्रामकता नहीं होती है, जो तेंदुए के पास है। वैसे, ज्यादातर जगहों पर पाए जाने वाले तेंदुए चीते से बहुत बड़े होते हैं। Quora पर एक एक्सपर्ट समझाते हुए कहती हैं कि अगर चीता स्पोर्ट्स कार है तो तेंदुआ टैंक है। सीधी फाइट होती है तो टैंक ही जीतेगा।

छिपकर चीतों की निगरानी
अगर इन 8 चीतों की बात करें तो एक्सपर्ट इनके बाड़ों के पास एक मचान में छेद करके निगरानी कर रहे हैं। मचान भी पर्दे से ढका हुआ है। पांच मादा और तीन नर चीते 30 से 66 महीने के उम्र के हैं और उनका स्वास्थ्य बेहतर है। फ्रेडी, एल्टन, सवाना, साशा, ओबान, आशा, सिबली और सैना नाम के आठ चीते छह बाड़ों में रह रहे हैं।

विंध्याचल पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान 750 वर्ग किमी इलाके में फैला है। दरअसल, प्रोटोकॉल यह है कि चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में शिफ्ट करने के पहले और बाद में एक-एक महीने के लिए अलग रखा जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया है कि एक्सपर्ट के कहने पर चीतों को भैंस का मांस खिलाया जा रहा है। यह जानवर तीन दिन में एक बार भोजन करता है।