Gita Rule: 4 तरह का भोजन अकाल मृत्यु का बनता है कारण, गीता के इन नियमों को जान लें

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गीता के अनुसार भीष्म पितामह ने अर्जुन को 4 प्रकार के भोजन न खाने की सलाह दी थी. ऐसा माना जाता है कि इन 4 प्रकार के भोजन के सेवन से घर में अकाल मृत्यु और दरिद्रता आती है. तो आज हम जानेंगे कि ऐसे कौन से खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन गलती से भी नहीं करना चाहिए.

पहला भोजन
गीता के अनुसार, भीष्म पितामह अर्जुन से कहते हैं कि यदि कोई भोजन की थाली पर कूदता है, तो वह नाली में कीचड़ के समान हो जाती है. गीता का कहना है कि ऐसे भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. यदि भोजन की थाली गलती से पार हो जाए तो वह भोजन किसी जानवर को खिला देना चाहिए. इसे स्वीकार मत करो.

दूसरा भोजन
भीष्म अर्जुन से कहते हैं कि जिसका पैर थाली में फंसा हो वह भोजन खाने योग्य नहीं होता. गीता कहती है कि ऐसा भोजन करना गलत है. टूटी हुई थाली में खाना खाने से घर में दरिद्रता आती है. इसलिए ऐसे भोजन को खाने से बचें.

तीसरा भोजन
भीष्म पितामह गीता के माध्यम से बताते हैं कि थाली में बाल रखकर भोजन करना कभी भी स्वीकार्य नहीं माना जाता है. ऐसा खाना दूषित होता है. जो लोग थाली में बाल रखकर खाना खाते हैं, वे जल्दी गरीब हो जाते हैं.

चौथे स्थान पर भोजन
भीष्म पितामह गीता में बताते हैं कि अगर पति-पत्नी एक ही थाली में खाना खाते हैं तो वह खाना किसी नशे से कम नहीं है. भीष्म पितामह के अनुसार एक थाली में भोजन करना उचित नहीं है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अगर पति-पत्नी एक ही थाली में खाना खाते हैं तो उनके बीच प्यार बढ़ता है. लेकिन जब पति-पत्नी के भोजन में कोई तीसरा व्यक्ति शामिल हो जाता है तो इससे पति-पत्नी के रिश्ते में दूरियां आ जाती हैं