चंडीगढ़. डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh) के बचाव में हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लिखित में जवाब दाखिल किया है. डेरा प्रमुख को दी गई 40 दिन की पैरोल पर एसजीपीसी ने गंभीर सवाल उठाए थे और 21 जनवरी के कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका भी दायर की थी. सरकार ने लिखित में जवाब देते हुए कहा है कि गुरमीत राम रहीम सिंह ‘कट्टर अपराधी’ नहीं हैं और दो हत्या के मामलों में उनकी सजा को ‘सीरियल किलिंग’ नहीं कहा जा सकता है. हरियाणा सरकार ने उसे 40 दिन की पैरोल देने के 21 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में यह सब दावा किया है.
ToI में प्रकाशित खबर के मुताबिक ‘उसे इन हत्याओं में सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया गया है. उसे आईपीसी की धारा 120-बी की मदद से ही आईपीसी की धारा 302 के तहत सजा दी गई है. धारा 120-बी एक स्वतंत्र अपराध है. इस धारा के तहत आरोप स्वतंत्र रूप से तय किए जाते हैं और दोषसिद्धि के मामले में, सजा को वास्तविक अपराध के साथ पढ़ा जाना चाहिए. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) में सरकार (Haryana Government) द्वारा दी गई दलील में कहा गया है. सरकार द्वारा कोर्ट में एक और दलील दी गई है कि गुरमीत दोनों हत्याओं में हमलावर साबित नहीं हुआ था.
गुरमीत फिलहाल बलात्कार के दो मामलों में 10-10 साल की सजा काट रहे हैं. डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के अलग-अलग मामलों में भी उम्रकैद और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. उनके खिलाफ चार और आपराधिक मामले हैं, जिनमें एक सीबीआई द्वारा कुछ शिष्यों के कथित बधियाकरण के संबंध में और तीन अन्य बेअदबी से संबंधित हैं.
रोहतक की सुनारिया जेल के अधीक्षक सुनील सांगवान के माध्यम से सरकार की प्रतिक्रिया पेश की गई थी. डेरा प्रमुख को दी गई 40 दिन की पैरोल को चुनौती देने वाली याचिका शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने दायर की थी.