हरियाणा सरकार का छात्रो को लेकर ऐतिहासिक कदम, जानकर होगे हैरान

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चंडीगढ़: हरियाणा में शिक्षा खासकर विश्‍वविद्यालयों में पढ़ाई का स्‍वरूप बदल रहा है। हरियाणा सरकार ने इस संबंध में बड़ा फैसला किया है। अब राज्‍य के विश्वविद्यालयों में केजी (नर्सरी) से पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) तक की शिक्षा एक ही परिसर में मिलेगी। पहले चरण में चार विश्वविद्यालय इस दिशा में काम कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में इसी साल से केजी से दाखिले दिए जाएंगे।

पंचकूला में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह बात कही। इस दौरान उन्होंने तीसरी से आठवीं तक के बच्चों के लिए संचालित एफएलएन मिशन (फाउंडेशनल लिट्रेसी एंड न्यूम्रेसी) और ग्यारवीं-बाहरवीं के छात्रों के लिए संचालित सुपर-100 की तर्ज पर नौवीं और दसवीं के छात्रों के लिए बुनियाद कार्यक्रम लांच किया।

सीएम मनोहरलाल ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में चार हजार प्ले-वे स्कूल खोले जा रहे हैं ताकि तीन साल की आयु से बच्चे की शिक्षा आरंभ की जा सके। अब तक ऐसे 1135 स्कूल खोले जा चुके हैं। निजी स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं और अंग्रेजी में शिक्षा देने के लिए 137 संस्कृति माडल स्कूल खोले हैं। 1418 इंग्लिश मीडियम बैग फ्री स्कूल बनाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा को कौशल के साथ जोड़ा है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में 34 डिप्लोमा, स्नातक व स्नातकोत्तर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। करीब चार हजार 755 छात्र प्रशिक्षित किए गए हैं और कई नए कोर्सों में 71 हजार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है । देश से बाहर के विश्वविद्यालयों तथा विदेश में रोजगार के अवसरों से अवगत कराने के लिए कालेजों में मुफ्त पासपोर्ट बनाए जा रहे हैं ।

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने बताया कि सुपर -100 कार्यक्रम के तहत ट्रेनिंग लेेने वाले सरकारी स्कूलों के 25 युवाओं को आइआइटी में दाखिला मिला है । इसी प्रकार 72 युवाओं को अच्छे मेडिकल कालेजों में दाखिला मिला है। इसी दिशा में 50 हजार मेधावी विद्यार्थियों को आनलाइन कार्यक्रमों के जरिये कोचिंग देने के लिए एम-3एम फाउंडेशन के साथ भी एमओयू किया है। इस कार्यक्रम में प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले युवाओं को कोचिंग देने के साथ-साथ हर सप्ताह उनकी तैयारी की प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।

भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य युवाओं को स्वाभिमानी और स्वावलंबी बनाना है। इसके लिए शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में शिक्षा पर पूरा जोर दिया गया है जिसका क्रियान्वयन करना शैक्षिक नेतृत्व की जिम्मेवारी है। विद्यार्थी जब तक स्वाभिमानी और स्वावलंबी नहीं होगा, तब तक वह आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।