हरियाणा में कानून पर नहीं कृपा पर टिका है रेवाड़ी समेत लाखों घरों का भविष्य

In Haryana, the future of lakhs of houses including Rewari rests on grace, not on law.
In Haryana, the future of lakhs of houses including Rewari rests on grace, not on law.
इस खबर को शेयर करें

रेवाड़ी। हरियाणा में ऐसे घरों की संख्या दस से पंद्रह लाख है, जो अवैध कालोनियों में या लालडोरा से बाहर बने हुए हैं। कानून और नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के नियमों की बात करें तो ये सभी अवैध हैं। डीटीपी इनमें से किसी को भी जमींदोज कर सकते हैं।

आप किसी अधिकारी से पूछिए कि अवैध निर्माणों को जेसीबी से ढहाने के नियम क्या है? डीटीपी की गाज अगली बार किसके मकान पर गिरेगी और किसका मकान छोड़ दिया जाएगा? जवाब मिलेगा कानूनी रूप से सभी निर्माण गिराए जा सकते हैं, मगर जमीनी हकीकत अलग है। अधिकारी चाहे तो पक्का मकान पलभर में ध्वस्त और कृपा होतो पूरी कालोनी बसा लीजिए।

चार-पांच दशक में हजारों अवैध कालोनियां नियमित होने के बाद अभी भी हजारों कालोनियां नियमित होने की लाइन में है, मगर अभी तक गहराई में जाकर यह सबक नहीं लिया गया है कि आखिर ऐसी कालोनियां/मार्केट विकसित क्यों हो रहे हैं? यह अध्ययन का विषय है, जिससे सरकारें बचती रही है। अवैध कालोनियों में बने घरों को जमींदोज करने की परिभाषा मनमानी है।

डीटीपी का तोड़फोड़ का मन किया तो पाई-पाई जोड़कर बनाया पक्का घर मिट्टी में मिला दिया जाता है, जबकि टेढ़ी निगाह हुई तो एक साथ किसी कालोनी के एक या कई निर्माण ध्वस्त कर दिए जाते हैं। स्पष्टता के अभाव में चांदी की चमक से भी निर्णय होते हैं।

इस चमक से आबाद हुई अवैध कालोनियों में जेसीबी का पंजा जाम हो जाता है। हालांकि सरकार के स्तर पर यह मंथन चल रहा है कितने प्रतिशत तक निर्माण वाली कालोनी या मार्केट को नियमित करना है, मगर जब तक निर्णय होगा तब तक तो अनियमित कालोनियां डीटीपी कार्यालयों के लिए दुधारू गाय बनी रहेंगी।

जहां दस प्रतिशत या अधिक निर्माण हो चुका है, वहां तोड़फोड़ की कार्रवाई सरकार के अंतिम निर्णय तक प्रतिबंधित रहे। इससे भ्रष्टाचार रुकेगा।
जहां भूमि अधिग्रहण की धारा चार की अधिसूचना से पहले के रिलीज मकान हैं, वहां बिना बाधा के जीर्णोद्धार या नवीनीकरण करने दें।
अगर मास्टर प्लान की किसी परियोजना के कारण किसी अवैध कालोनी को नियमित करना संभव नहीं तो सरकार वहां की जमीन अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर लोगों को बदले में दूसरी जगह कम क्षेत्रफल की उसी प्रकृति की विकसित जमीन दे।
किसी एक तारीख को आधार मानकर एक बार सभी कालोनियों, पहले से बने मकानों अथवा मकानों के लिए खरीदे गए भूखंडों को चिह्नितकरके बिना देरी नियमित करे।
सख्ती से प्रतिबंध लागू करने से पहले जरूरतमंद को शहरों या गांवों के निकट सस्ते भूखंड का सही विकल्प दे।
किसानों को अपने गांव में अपनी जमीन पर घर या प्रतिष्ठान बनाने के लिए सामान्य प्रार्थना पत्र पर सीएलयू जारी की जाए।
टिन शेड के अस्थायी निर्माण न गिराया जाए। ऐसा निर्माण करने वालों से केवल स्थायी निर्माण न करने का शपथ पत्र लिया जाए।