हिमाचल में पौने तीन लाख कर्मचारियाें के वोट पर है अब जयराम सरकार की नजर

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शिमला। प्रदेश सरकार की नजर अब प्रदेश के करीब पौने तीन लाख कर्मचारियों पर टिकी है। उपचुनाव में मिली हार के बाद से लगातार कर्मचारियों के हितों से जुड़े मामलों पर मंथन चल रहा है। इसमें सरकार कर्मचारी के प्रतिनिधियों की भी राम ले रही है। इसी कड़ी में संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक के लिए सरकार ने कमर कस ली है। 58 विभागों ने बैठक के एजेंडे पर कार्य आरंभ कर दिया है।

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने 62 सूत्रीय मांग पत्र सरकार को सौंपा था। अब इस पर विभागों से जवाब मांगे गए हैं। इन पर विभागों के अधिकारी जवाब तैयार कर रहे हैं। 21से 23 नवंबर तक मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इन सब पर आपस में सलाह मशविरा करेंगे। इनमें महासंघ के अध्यक्ष को भी बुलाया जाएगा। तब पता चल सकेगा कि सरकार कौन- कौन सी प्रमुख मांगां को पूरा करेगी। किन मांगों पर अड़चने आएगी, इसका भी संकेत मिलेगा।

संयुक्त सलाहकार समिति यानी जेसीसी की बैठक 27 नवंबर को होगी। इसके लिए अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पूरी तरह से तैयार है। पहले लंबे अरसे के बाद 25 सितंबर को बैठक होनी तय हुई थी। तब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाचिंग कार्यक्रम हुआ। इस कारण दोनों कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एक साथ मौजूद नहीं रह पाए। हालांकि संगठन चाहता है कि वह उनकी बैठक में पूरे समय तक मौजूद रहे ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों के बीच अच्छा संदेश जाए। लेकिन तब बैठक नहीं हुई।

इन पर घोषणाएं संभव

बैठक में कई सौगातें दी सकती है। इनमें निम्न प्रमुख हैं

– छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करवाने की घोषणा तय मानी जा रही है

– अनुबंध से नियमित होने की अवधि तीन से दो वर्ष

– अनुबंध पीरियड को सीनियोरिटी में शामिल करना

– महिला कर्मियों को दो साल की चाइल्ड केयर लीव की व्यवस्था करना

– जूनियर ऑफिस असिस्टेंट को क्लर्क का दर्जा देना

– शेष बचे हुए डीए की घोषणा करवाना

प्रदेशाध्यक्ष, सरकार से मान्यता प्राप्त अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्‍वनी ठाकुर का कहना है कि बैठक से कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें लगी हुई है। प्रमुख मांगों पर फैसले हाेंगे। अभी विभागीय सतर पर कसरत चल रही है। पहले बैठक नहीं हो पाई थी, पर अबकी बार यह हर हाल में होगी।