हर झटका झेलने को तैयार है भारत, विदेशी मुद्रा भंडार 616 अरब डॉलर के पार ये क्या बता रहा है?

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नई दिल्‍ली: भारत किसी भी झटके को झेलने लिए बिल्‍कुल तैयार है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी बढ़ती हैसियत का एक और आंकड़ा आया है। 26 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 616 अरब डॉलर को लांघ गया। यह 59.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 616.733 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे एक हफ्ते पहले विदेशी मुद्रा के कुल भंडार में 2.795 अरब डॉलर की भारी गिरावट देखने को‍ मिलती थी। यह लुढ़ककर 616.143 अरब डॉलर रह गया था। किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार कई मायनों में अहम होता है। यह देश के आयात बिलों के पेमेंट में सरकार को सहूलियत देता है। जरूरत पड़ने पर इसका इस्‍तेमाल घरेलू करंसी में स्‍टेबिलिटी लाने के लिए किया जा सकता है। यह अर्थव्‍यवस्‍था में भरोसा पैदा करता है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर, 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन, पिछले साल वैश्विक घटनाक्रम के बीच रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को इस भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल करना पड़ा था।

क्‍या कहती है RBI की र‍िपोर्ट?
विदेशी मुद्रा भंडार पर रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े शुक्रवार को आए। इन आंकड़ों के मुताबिक, 26 जनवरी को समाप्त सप्ताह में मुद्राभंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 28.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 546.144 अरब डॉलर हो गईं। फॉरेन करंसी एसेट्स यानी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों को डॉलर में दर्शाया जाता है। यह विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक होता है। इस पर यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का असर पड़ता है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्‍ड रिजर्व यानी स्वर्ण भंडार 26.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 47.481 अरब डॉलर हो गया। इसका इस्‍तेमाल आर्थिक संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए किया जा सकता है।

इस दौरान विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.248 अरब डॉलर हो गया। एसडीआर अंततरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से बनाई गई आर्टिफिशियल करंसी है। इसका इस्‍तेमाल देश अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए करते हैं।

इसी तरह सप्ताह के दौरान में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास भारत का आरक्षित जमा 60 लाख डॉलर बढ़कर 4.86 अरब डॉलर हो गया। यह वह रकम है जिसे देश आईएमएफ में जमा रख सकते हैं। इसका इस्‍तेमाल जरूरत पड़ने पर किया जाता है।

क्‍या होते हैं फायदे?
1. इंपोर्ट बिलों के भुगतान में देता है सहूलियत: विदेशी मुद्रा भंडार का इस्‍तेमाल देश के आयात बिलों, विदेशी कर्ज के पेमेंट और अन्य अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए किया जाता है। जब देश का व्यापार घाटा होता है तो विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग अंतर को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

2. करंसी में लाता है स्थिरता: विदेशी मुद्रा भंडार का इस्‍तेमाल घरेलू मुद्रा के मूल्य को स्थिर करने के लिए किया जा सकता है। जब घरेलू मुद्रा का मूल्य गिरने लगता है तब केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से विदेशी मुद्रा बेचकर घरेलू मुद्रा की खरीद कर सकता है।

3. अर्थव्‍यवस्‍था में पैदा होता है भरोसा: विदेशी मुद्रा भंडार का ऊंचा स्तर निवेशकों और लेनदारों को देश की आर्थिक स्थिरता और कर्ज चुकाने की क्षमता के बारे में आश्वस्त करता है। यह विदेशी निवेश और कर्ज को आकर्षित करने में मदद करता है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

4. इमरजेंसी से निपटने में बनाता है समर्थ: विदेशी मुद्रा भंडार का इस्‍तेमाल प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपात स्थितियों के दौरान देश को आर्थिक रूप से स्थिर रखने के लिए किया जा सकता है।

5. आर्थिक नीति बनाने में देता है आजादी: विदेशी मुद्रा भंडार का ऊंचा स्तर देश को अपनी आर्थिक नीतियां स्वतंत्र रूप से तय करने की अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है।