अभी अभीः चंद्रयान 3 को लेकर इसरो ने दी बडी खुशखबरी, विक्रम और प्रज्ञान ने…

Just now: ISRO gave big news regarding Chandrayaan 3, Vikram and Pragyan...
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वॉशिंगटन: भारत के चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से दोबारा संपर्क में जुटे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। इसके बावजूद इसरो के वैज्ञानिक दिन-रात अपने काम में जुटे हुए हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को यह पता है कि चंद्रयान-3 का एक पेलोड ऐसा भी है, जो चंद्रमा पर अब भी एक्टिव है। वह चंद्रमा के सतह की लगातार नई-नई जानकारियों को इसरो के कमांड एंड कंट्रोल स्टेशन तक भेज रहा है। इस पेलोड का नाम स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) है। यह चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल का हिस्सा है, जो 52 दिनों से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। अब तक इसने पर्याप्त मात्रा में डेटा भेजा है और यह लंबे समय तक काम करना जारी रखेगा।

SHAPE यंत्र का काम क्या है

स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ चंद्रमा के चारों ओर घूमते समय पृथ्वी की रहने योग्य ग्रह जैसी विशेषताओं का अध्ययन करेगा। इसके अवलोकनों से प्राप्त डेटा का उपयोग इसरो की टीम एक्सोप्लैनेट ग्रहों की कक्षा में अध्ययन करने के लिए करेगी। एक्सोप्लैनेट सौर मंडर के बाहर के पिंड होते हैं, जो पृथ्वी जैसी विशेषताएं रखते हैं। इसे दूसरे ग्रहों तक खोजबीन के काम में इसरो की एक लंबी छलांग माना जा रहा है। वर्तमान में दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां सौर मंडल के बाहर के ग्रहों और तारों पर खोजबीन को आगे बढ़ा रही हैं। ऐसे में भारत को स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ से कई महत्वपूर्ण डेटा मिलने की उम्मीद है।

इसरो चेयरमैन ने क्या बताया

इस बीच इसरो के चेयरमैन ने हमारे सहयोगी प्रकाशन टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि SHAPE को केवल एक निश्चित समय के दौरान ही संचालित किया जा सकता है जब पृथ्वी से दृश्यता अच्छी हो। जब यह संचालित होता है तो यह लगातार डेटा प्राप्त करता रहता है, हालांकि डेटा एक समय-अपरिवर्तनीय है, जिसका अर्थ है कि एक बार पृथ्वी की कुछ विशेषताओं को पकड़ लिया गया तो वे वही रहेंगे और समय के साथ नहीं बदलेंगे। हमें पेलोड उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अब तक पर्याप्त डेटा मिल गया है, लेकिन हम इसे संचालित करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, हालांकि, डेटा का विश्लेषण पूरा होने और यदि कोई खोज हुई तो तो उसकी घोषणा होने में कई महीने लगेंगे।

NASA ने बताया एक्सोप्लैनेट का महत्व

एक्सोप्लैनेट ने हाल के समय में दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों को आकर्षित किया है। खगोल वैज्ञानिकों को आशा है कि इनमें से कई एक्सोप्लैनेट जीवन की मेजबानी करने की क्षमता रख सकते हैं। नासा के अनुसार, आज की तारीख में अकेले हमारी आकाशगंगा में मौजूद अरबों ग्रहों में से 5,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं। हालांकि, हजारों अन्य संभावित एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और यह सुनिश्चित करने के लिए आगे के अवलोकन की आवश्यकता है कि एक्सोप्लैनेट वास्तविक है या नहीं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पहला एक्सोप्लैनेट केवल 1990 के दशक में खोजा गया था।