खेल लालू का, पहल नीतीश की, मंच सोनिया का और सेट हो गए तेजस्वी, RJD सुप्रीमो के गेम की इनसाइड स्टोरी

Lalu's game, Nitish's initiative, Sonia's stage and Tejashwi set, inside story of RJD supremo's game
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पटना: इंडिया गठबंधन की बैठक में संयोजक कौन बनेगा, इसका फैसला नहीं हो पाया। JDU में तो नीतीश कुमार के इस रेस में आगे रहने की उम्मीद अभी भी बरकरार है। वहीं पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा, ये भी तय न हो सका। अलबत्ता एक लिस्ट जरूर बन गई। इसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को जगह भी मिली। अब आप कहेंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। बड़ी बात तो है, क्योंकि गेम नीतीश के लिए सेट होना था। बिहार की राजनीति में लालू ही एक ऐसी शख्सियत हैं जिसकी चाल का अंदाजा अनप्रेडिक्टेबल नीतीश कुमार भी नहीं लगा पाते। लालू ने खेल खुद खेला, पहल के लिए नीतीश को आगे कराया, मंच सोनिया गांधी से सजवाया लेकिन लॉन्च कर दिया अपने बेटे को। समझने वाले समझ नहीं पाए और लालू ने खड़े-खड़े बड़ा गेम खेल दिया। मुंबई में इंडिया की बैठक को लालू ने बड़ी ही चतुराई से अपने बेटे तेजस्वी यादव का लॉन्चिंग पैड बना दिया। एक झटके में तेजस्वी बिहार से देश की राजनीति वाली लिस्ट में आ गए।

चतुर लालू यादव ने सही जगह चुनी
राजनीति के माहिर खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव ने अपने दूसरे पुत्र तेजस्वी यादव को राज्य में लॉन्च तो बहुत पहले कर दिया था। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वो लालू की तरह कामयाब नहीं हुए थे। वजह ये थी कि न तो वो सांसद बने हैं और न ही मुंबई में इंडिया गंठबंधन की बैठक से पहले किसी राष्ट्रीय राजनीति की आधिकारिक लिस्ट में उनका नाम था। ऐसे में लालू प्रसाद यादव ने ऐसा गेम सेट किया, जिसकी उम्मीद नीतीश खुद के लिए कर रहे थे। लेकिन लालू की चतुराई तो सिर्फ लालू ही जाने। गेम नीतीश के बदले तेजस्वी का सेट कर दिया गया। इंडिया की 14 सदस्यीय कॉर्डिनेशनल कमिटी ने तेजस्वी को गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी और ललन सिंह जैसे नेताओं के बीच जगह मिल गई। लालू यहीं नहीं रुके। उन्होंने पत्रकारों के आगे या फिर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के बीच संबोधन के मौके पर तेजस्वी यादव को ही आगे किया। यह वही समय था जब तेजस्वी नीतीश की पीएम पद की दावेदारी को इशारों में खाारिज कर चुके थे।

तेजस्वी यादव के बयान से समझिए पूरा खेल
मुंबई में हुई बैठक के दौरान जब पत्रकारों ने तेजस्वी यादव से पूछा कि पीएम उम्मीदवार किसे बनाएंगे? तब बड़ी चालाकी से तेजस्वी यादव ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि ‘हमारा पीएम तो चुनाव के बाद तय होगा। जनता की मांग पर I.N.D.I.A. गठबंधन बना है। इस गठबंधन से जो भी सांसद चुने जाएंगे वही अपना पीएम चुनेंगे।’ तेजस्वी ने कहा कि ‘सभी को पता है कि पीएम चुनने की प्रक्रिया क्या होती है। सांसद अपना नेता चुनेंगे और जो भी पीएम का उम्मीदवार होगा वह संविधान की रक्षा करने वाला और जनता के प्रति वफादार होगा।’ ये छिपी हुई बात नहीं है कि JDU देश भर में सबसे ज्यादा सांसद लाने से रहा।

नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी को ही कर दिया प्रमोट
मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार ने भी बार बार तेजस्वी यादव को ही आगे किया। जब भी पत्रकारों ने कुठ सवाल पूछे तो नीतीश ने कहा कि ‘अब इनसे न पूछें। अरे! हम तो हैं ही।’ ऐसा नहीं है कि ये पहली बार था। इससे पहले भी अगस्त 2022 में महागठबंधन के साथ सरकार बनाते ही नीतीश हर वक्त तेजस्वी को ही आगे करते दिख रहे हैं। ये साफ दिखने लगा कि नीतीश कुमार हमेशा मीडिया के आगे तेजस्वी यादव को खड़ा कर रहे हैं। चाहे सवाल कैबिनेट विस्तार का हो या कुछ और, नीतीश ने तेजस्वी की ओर ही इशारा किया। यहां तक तक राहुल गांधी ने जब कैबिनेट विस्तार की बात की तो नीतीश की उंगली तेजस्वी की तरफ घूम गई।

लालू की रणनीति को समझना इतना आसान नहीं
लालू प्रसाद यादव की इस कोशिश को उनके राजनीति इरादों से समझना चाहिए। लालू प्रसाद यादव पर शुरू से ही परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। राबड़ी देवी को एक वक्त सीएम बनाने के बाद से ही लालू पर ये तोहमत लग गई। लेकिन इस परिवारवाद में भी तमाम शक्तियों को किसी एक में केंद्रित करना भी उनकी सधी हुई सियासत का एक हिस्सा है। जब सीबीआई ने लालू को गिरफ्तार किया तो राबड़ी को सीएम बनाने के बाद भी लालू ने ताकत अपने हाथ में रखी। अब जब राजद की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथ में है तो लालू प्रसाद यादव कभी भी पार्टी के भीतर और कोई पावर हाउस नहीं बनाते। यह केवल पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के लिए के लिए ही नहीं बल्कि परिवार के लिए भी है। चाहें वो मीसा हों या तेजप्रताप। रिपोर्टिंग अथॉरिटी यानि नेता तेजस्वी ही रहेंगे, ये लालू ने साफ कर दिया है। और अब ये नई चाल चल कर लालू ने तेजस्वी की नए सिरे से लॉन्चिंग भी कर दी। अहम सवाल ये कि पिता लालू के गेम का तेजस्वी फायदा उठा पाएंगे या नहीं? क्योंकि नीतीश के करीबी तो डेप्युटी सीएम सुशील कुमार मोदी भी थे।