उत्तराखंड के बाद हिमाचल में धंस रही जमीन! खतरे में 80 बीघा इलाका, खाली कराए गए घर

Land sinking in Himachal after Uttarakhand! 80 bigha area in danger, houses evacuated
Land sinking in Himachal after Uttarakhand! 80 bigha area in danger, houses evacuated
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मंडी: उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में भी तीन गांव के लोगों पर खतरा मंडरा रहा है. लोगों का कहना है कि शायद ये खतरा इतना नहीं होता, अगर फोरलेन प्रोजेक्ट वालों ने पहाड़ी की कटिंग जरूरत से ज्यादा नहीं की होती और गांववालों की बात सुनी होती. बालीचौकी के गांवों में हालात डरावने हैं. यहां जमीन में दरारें हैं. हिमाचल के मंडी जिले की 60 से 80 बीघा जमीन में दरारें हैं. कहीं जमीन पर दरार है तो कहीं घर बेकार हो रहे हैं. ये दरारें सी शेप में पड़ी हैं. जमीन में आने वाली दरारें आधा फीट से भी ज्यादा गहरी हैं. अधिकारी कई बार इस बारे में लोगों से बात कर चुके हैं. लोगों को घर खाली करने के आदेश भी दिए गए. एनएचएआई रोड कंस्ट्रक्शन की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. बीते दो दिन से घरों में ज्यादा दरारें हुई हैं.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सिराज घाटी में नागानी, थलौट और फागू को जोशीमठ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. यहां के घरों में दरारें होने से ग्रामीणों में दहशत है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, 2018-19 में कीरतपुर-मनाली हाइवे पर फोरलेन प्रोजेक्ट शुरू हुआ था. उस समय तक इन गांवों में हालात सामान्य थे. 2020 के बाद से लोगों के घरों में दरारें आने लगीं. फोरलेन प्रोजेक्ट पूरा होने की समय सीमा साल 2024 है. इन तीन गांवों में कम से कम 32 घर और तीन मंदिर खतरे में हैं और कुछ घरों को खाली कर दिया गया है.

ऐसे हालात पर बात करते हुए गांव की बुजुर्ग महिलाओं की आंखों में आंसू हैं. वे कहती हैं कि घरों में दरारें आने के कारण वे बेघर हो गई हैं. तीन टीमों ने गांव का दौरा किया और मुआवजे का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला

उन्होंने कहा कि वे बेघर होने पर मुआवजे का क्या करेंगे. जब भी बारिश होती है तो वे डर के साए में रहते हैं. सरकार आश्वासन के बावजूद उन्हें सुरक्षित जगह नहीं मुहैया कराती. आपबीती सुनाते हुए फागू गांव की एक बुजुर्ग महिला चमारी देवी ने कहा कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी यहीं गुजारी है. अब लोग कह रहे हैं कि यहां से चले जाओ, हम यहां से कहां जाएंगे.

नागानी गांव की एक अन्य महिला साइना देवी ने कहा कि फोरलेन हाइवे के कारण हमारा घर पूरी तरह से टूट गया है. हमारे 4-5 बच्चे हैं, इसलिए हमारे लिए यहां से निकलना बहुत मुश्किल है. थलौत गांव की 38 वर्षीय बीना देवी ने कहा कि वे मुआवजा देने की बात करते हैं, लेकिन हम बच्चों, बड़ों को लेकर कहां जाएं.

खतरे को लेकर क्या बोले मंडी जिले के एडीएम?
मंडी के एडीएम अश्वनी कुमार ने भी माना कि गांवों पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने बताया कि 2018-19 के बाद से खतरा पैदा हो गया था. पहाड़ी काटे जाने से मकानों में दरारें आ गई थीं. हमने 10 गांवों का सर्वे किया है. ये सारी चीजें सरकार के ध्यान में भी लाई हैं. लोगों के घरों में दरारें आईं हैं. दो तीन घरों में सबसे ज्यादा क्रैक्स आए हैं. प्रशासन ने इसे संभाला है. वैज्ञानिकों ने भी सर्वे किया है, रिपोर्ट का इंतजार है.