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नई दिल्ली: पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी की बीते कई सालों से भाजपा नेतृत्व से अनबन चल रही है। किसान आंदोलन से लेकर कई मुद्दों पर वह नेतृत्व से अलग राय रखते रहे हैं। ऐसे में वह 2024 में लोकसभा का चुनाव भाजपा से लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर कयासों का दौर तेज है। इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वरुण गांधी को पीलीभीत लोकसभा सीट से शायद इस बार टिकट न दिया जाए। उनकी जगह पर जिले के ही एक ओबीसी विधायक को मौका मिल सकता है, जो लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके जरिए भाजपा ओबीसी वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश करेगी।
वरुण गांधी ने कई बार भाजपा नेतृत्व से असहमति जताई है, लेकिन पार्टी ने उन्हें लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा। हालांकि उन्हें कई राज्यों में हुए चुनाव प्रचार में अहमियत नहीं दी गई। यूपी में भी उन्हें कोई अहम भूमिका नहीं सौंपी गई है। इससे साफ है कि नेतृत्व वरुण गांधी को नजरअंदाज कर रहा है। यही नहीं उनकी मां मेनका गांधी भी 2019 में दोबारा बनी मोदी सरकार में किसी पद पर नहीं हैं। इससे पहले 2014-19 के दौरान वह महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं, लेकिन अब वह भी बेटे की तरह ही महज सांसद हैं और भाजपा के किसी बड़े आयोजन में मंच पर भी नहीं दिखतीं।
वरुण गांधी की जगह इस नेता को मिल सकता है मौका
यही वजह है कि वरुण गांधी के अलावा मेनका गांधी के भविष्य को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं। अब चर्चा है कि पीलीभीत से संजय सिंह गंगवार को भी लोकसभा का टिकट मिल सकता है। वह शहर विधानसभा सीट से दो बार से विधायक हैं। उनकी यूपी भाजपा के संगठन में अच्छी पकड़ है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी करीब माने जाते हैं।
संतोष गंगवार की जगह नए नेता को तैयार करना है मकसद
बरेली-पीलीभीत क्षेत्र से कद्दावर नेता रहे संतोष गंगवार की जगह भाजपा अब उनको ओबीसी नेता के तौर पर प्रमोट करना चाहती है। गंगवार ने 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन 4 हजार वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की। अब 2022 में फिर विजय पा सकते हैं।