मां के गर्भ में ही तय हो जाती है किस्मत, इन पांच चीजों को आप चाहकर भी नहीं बदल सकते

Luck is decided in mother's womb only, you cannot change these five things even if you want to
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आचार्य चाणक्य भारत की भूमि में जन्मे एक महान शख्सियत थे। उनका लोहा पूरी दुनिया ने माना। वे एक कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री रहे। अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत विषम परिस्थितियों का सामना किया। उन्होंने जीवन में प्राप्त अपने ज्ञान को दूसरों के साथ बांटा भी। आचार्य चाणक्य के मुताबिक जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तभी उसकी किस्मत का फैसला हो जाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, गर्भ में ही बच्चे की पांच चीजों का फैसला हो जाता है जिसे चाह कर भी कोई बदला नहीं सकता है।

श्लोक और उसका अर्थ
आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च ।

पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।

इस श्लोक का अर्थ है – जब संतान गर्भ में रहती है तब उसकी आयु, कर्म, वित्त (धन), विद्या, निधन (मृत्यु) का निर्धारण पहले ही हो जाता है।

आयु
शिशु के जन्म लेने से पहले, मां की कोख में ही बच्चे की आयु तय हो जाती है। चाणक्य के अनुसार, बच्चा दीर्घायु होगा या फिर अल्पायु इसका निर्णय गर्भ में ही हो जाता है।

कर्म
मनुष्य अपने जीवन में किये अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगता है। चाणक्य के अनुसार यह जन्म के बाद से ही नहीं, बल्कि पूर्व जन्म के कर्मों का आधार पर व्यक्ति सुख-दुःख भोगता है।

धन लाभ और शिक्षा
आचार्य चाणक्य अपने श्लोक में बताते हैं कि संतान के भाग्य में पैसा है या नहीं, इसका निर्धारण भी गर्भ में हो जाता है। बच्चा जीवन में शिक्षित होगा कि नहीं और वह कहां तक की शिक्षा ग्रहण कर पायेगा, इसका फैसला भी गर्भ में हो जाता है।

मृत्यु
हम सभी जानते हैं कि जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु भी तय होती है। चाणक्य की मानें तो उनके अनुसार माता के गर्भ में ही यह तय हो जाता है कि व्यक्ति कितने साल जियेगा।