देश मे सरसों का तेल पहुंचा आसमान में, एक साल में बढे रिेकोर्ड तोड दाम

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नई दिल्ली: खाद्य तेलों (Edible Oil) के दाम पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल और डीजल के दामों (Petrol Diesel Price) से भी आगे निकल गए हैं। पिछले एक साल में खाने वाले तेल की कीमतों (Cooking Oil Price) में करीब 50 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले साल कच्ची घानी सरसों तेल 110-115 रुपये/ लीटर उपलब्ध था। आज वही कच्ची घानी सरसों तेल का दाम खुदरा बाजारों में 160-170 रुपये लीटर हो चुका है। यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल कच्ची घानी सरसों तेल (Mustered Oil) की कीमत में 30 से 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। ओवरऑल तेल की कीमतें पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी बढ़ी हैं। पिछले एक हफ्ते में ही खाद्य तेलों की कीमतों में 7-8 फीसदी का इजाफा देखा गया है।

दिल्ली में तेलों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी
खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में पिछले एक हफ्ते में करीब 7-8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कच्ची घानी सरसों का तेल कुछ दिन पहले तक 150-155 रुपये लीटर था। अब, यह 160-170 रुपये लीटर है। वहीं, सोयाबीन रिफाइंड ऑयल 160 रुपये लीटर है। रिफाइंड ऑयल की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। पामोलीन ऑयल 135 रुपये लीटर है। व्यापारियों का कहना है कि सरसों की नई फसल भी कट गई है, इसके बावजूद तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

चीन ने बिगाड़ा खाद्य तेलों के बाजार का गणित
द सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड के वाइस प्रेजिडेंट सुरेश नागपाल के अनुसार, 70 फीसदी खाद्य तेल इंडोनेशिया, मलयेशिया, ब्राजील और यूएसए जैसे देशों से आते हैं। इसलिए भारत में भी तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल के कीमतों पर निर्भर करता है। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान से ही चीन समान्य से कई गुना ज्यादा तेल का आयात इन देशों से कर रहा हैं। इन देशों में तेल न मिलने पर चीन किसी भी कीमत पर तेल लेने को तैयार है। इसका असर यह हुआ है कि जिन देशों से भारत खाद्य तेलों का आयात करता है, वहां पामोलीन और सोयाबीन ऑयल का स्टॉक कम हो गया है। तेल की डिमांड पहले से अधिक है और स्टॉक कम है, जिससे उन देशों ने पिछले कुछ दिनों में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इसका सीधा प्रभाव यहां भी तेल की कीमतों पर पड़ा है और खुदरा बाजारों में तेल की कीमतें बढ़ी हैं।

बायो-डीजल के प्रमोशन का भी पड़ा असर
नागपाल का कहना है कि अमेरिका जैसे देशों में ईंधन के रूप में अब बायो-डीजल का इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे डीजल के निर्माण में सोयाबीन और मक्के का इस्तेमाल अधिक होता है। इस वजह से तेल निकालने के लिए सोयाबीन उतना नहीं मिल पा रहा है। सोयाबीन ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी का यह कारण यह भी है। उनका कहना है कि एक-दो दिन पहले तिलहन व्यापारियों की भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन विभाग के सेक्रेटरी के साथ मीटिंग भी हुई थी जिसमें खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने को लेकर बातचीत हुई। लेकिन, ज्यादातर व्यापारी इस पर सहमत नहीं थे।