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सुकमा: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली (Naxali in Sukma) कमांडर ने सोमवार को सुरक्षा बल के सामने सरेंडर कर दिया. सरेंडर करने वाले नक्सली कमांडर के ऊपर आठ लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. मिली जानकारी के अनुसार वह कई सारे घातक नक्सली हमलों (Naxali attacks) और वारदातों में शामिल था. सुरक्षा बल को लंबे समय से उसकी तलाश थी. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमांडर का नाम नागेश उर्फ पेडकम एर्रा है.
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण जी चव्हाण ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाला 38 वर्षीय नक्सली नागेश उर्फ पेडकम एर्रा अमानवीय और खोखली माओवादी विचारधारा से निराश हो चुका था. यही कारण है कि उसने ऊब कर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. सरेंडर करने वाले नक्सली कमांडर ने भी कहा कि वह जिला पुलिस के पुनर्वास अभियान ‘पुना नारकोम’की सुविधाओं से काफी प्रभावित था. दरअसल, पुना नारकोम का स्थानीय गोंडी बोली में नई सुबह या नई शुरुआत अर्थ होता है.
2003 में नक्सली गतिविधियों में हुआ था शामिल
एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा बल के अधिकारियों ने बताया कि एर्रा 2003 में गैरकानूनी आंदोलन में शामिल शामिल हुआ था. उसने एक स्थानीय संगठन दस्ता के सदस्य के रूप में भर्ती हुआ था. इसके बाद इस दस्ते में उसका कद बढ़ता गया. आगे 2015 में पदोन्नति देते हुए उसे माओवादियों के पीएलजीए बटालियन नंबर एक का कंपनी कमांडर बना दिया गया. उस पर कई घातक हमलों में शामिल रहने का आरोप है.
कई घातक नक्सली हमलों में था शामिल
एर्रा 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा जिले में) हुए नरसंहार में भी शामिल था. इस हमले में 76 जवान मारे गए थे. वहीं 2017 में बुरकापाल हमले भी शामिल होने का उस पर आरोप है. इस हमले में CRPF के 25 जवानों ने अपनी जिंदगी गंवा दी थी.एर्रा को राज्य सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत जिन सुविधाओं का प्रावधान किया गया है, वह सब उपलब्ध कराया जाएगा. अब तक 176 नक्सलियों ने जिले में पुना नारकोम अभियान के तहत हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसर्पण किया है. यह अभियान बीते साल अगस्त में शुरू किया गया था.