Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और सभी राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियां राज्यों में अलग-अलग मोर्चों और स्तरों पर एकता बनाने में जुट गई हैं. इस बार जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकजुट विपक्ष तैयार करने का बीड़ा उठाया है ताकि बीजेपी से मुलाकात कर सकें. हालांकि विपक्षी दलों के अपने जोड़-घटाव के साथ एक साथ कई इंद्रधनुष वाली स्थिति के बावजूद नीतीश की राह मुश्किल है नामुमकिन नहीं.
कांग्रेस के अलावा किसी भी बड़े विपक्षी दल की अपने क्षेत्र विशेष से बाहर मौजूदगी, प्रभाव या राष्ट्रव्यापी विश्वसनीयता नहीं है, चाहे वह नीतीश की खुद की पार्टी जेडीयू हो या दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों की पार्टियां.
हालांकि, किसी भी विपक्षी मोर्चे के लिए महाराष्ट्र एक अहम फैक्टर होगा क्योंकि यहां 48 लोकसभा सीटें हैं जो उत्तर प्रदेश के बाद देश में सबसे ज्यादा है. यहां कई दल हैं, जिनमें कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) की महाविकास अघाड़ी, वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और अन्य छोटे दल शामिल हैं.
क्या है गणित
राज्य में मुख्य विपक्षी दलों के अपने गढ़ हैं और उनके अपने मतदाता हैं तो वहीं. वीबीए के पास लगभग 6-7 परसेंट और समाजवादी समूह के पास 7-8 प्रतिशत वोटर हैं. कम्युनिस्ट भी यहां ताकतवर हैं. हालांकि चुनिंदा इलाकों में ही उनके वोटर हैं. अगर ये सभी मिलकर एक हो जाएं तो बीजेपी के सामने मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंधे आशावादी दिखते हैं. उन्होंने दावा किया, हिमालय का मार्ग सह्याद्री के रास्ते खुलेगा. महाराष्ट्र एक जरूरी राज्य है और बीजेपी हर जगह नीचे खिसक रही है. एमवीए के खाते में कम से 40 सीटें आएंगी. शुरुआत कर्नाटक से होगी. एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि राज्य में एमवीए के तहत विपक्ष पहले से ही मजबूती से एकजुट है और कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद लोकसभा चुनावों के लिए केवल बारीकियां तय की जानी हैं. तापसे ने कहा, हमेशा की तरह, बदलाव की बयार इसी राज्य से उठेगी. बेहद जरूरी बदलाव के लिए बीजेपी को चुनौती देने के लिए एकजुट विपक्षी मंच का हिस्सा होगा.
‘पूरे देश में भरोसा खो चुकी है बीजेपी’
शिवसेना (यूबीटी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता किशोर तिवारी ने कहा कि केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बीजेपी भरोसा खो चुकी है क्योंकि उसका नजरिया सांप्रदायिक रूप से बांटने वाला, गरीब-किसान विरोधी है और वह खुले तौर पर कारोबार का समर्थन करती है.
तिवारी ने कहा, देश ने 9 साल तक चुपचाप झेला है और अब बीजेपी के लिए बोरिया-बिस्तर बांधने का समय आ गया है. जनता की भावनाएं एक संयुक्त विपक्ष की चुनौती के जरिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव के पक्ष में हैं.
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव कपिल पाटिल ने कहा कि नीतीश कुमार मई के मध्य में महाराष्ट्र पहुंचेंगे और शरद पवार, उद्धव ठाकरे, प्रकाश अंबेडकर समेत सभी विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सहयोग की मांग करेंगे.
‘सिर्फ मोदी को नहीं हराना है’
पाटिल ने कहा, उन्होंने पहले ही कुछ पॉजिटिव सुझाव दिए हैं, जैसे कम से कम 500 (कुल 543 में से) लोकसभा सीटों पर बीजेपी को एक-एक की चुनौती, कोई व्यक्तिगत ख्वाहिश नहीं है और सभी दलों से व्यापक राष्ट्रीय हित के लिए एडजस्टमेंट/बलिदान करने की उम्मीदें हैं.
उन्होंने नीतीश की बात को दोहराया कि सिर्फ बीजेपी या पीएम मोदी को हराने का विचार नहीं है, बल्कि यह संविधान की रक्षा, लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत तय करने, समाजवादी और क्षेत्रीय ताकतों और संघीय ढांचे की मजबूती और आखिरी शख्स तक न्याय पहुंचाकर भारतीय लोकतंत्र के भविष्य को मजबूत करने की बात है.
पाटिल ने कहा, अगर महाराष्ट्र में सभी दल हाथ मिलाते हैं, तो यह निश्चित रूप से नेशनल लेवल की कोशिशों पर बड़ा असर डालेगा. चुनावों के बाद 1977 की तर्ज पर खिचड़ी बनने की संभावना पर, कुछ नेताओं/समूहों के पाला बदलने की आशंकाओं पर पाटिल ने मुस्कुराते हुए कहा, अनेकता में एकता भारतीय प्रजातंत्र की पहचान है. जेडीयू नेता ने कहा कि ‘खिचड़ी’ देश के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगी और हालांकि यह काल्पनिक सवाल है, उन्होंने विश्वास जताया कि सब लोग मिलकर देश की भलाई के लिए काम करेंगे.