भोपाल : सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ जाते हैं। जो लोग दिल से संबंधित किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनको ज्यादा खतरा होता है। हालांकि हार्ट अटैक के दौरान जीवनरक्षक दवाएं संजीवनी साबित होती हैं। सरकार ने इनके दाम बेहद कम रखे हैं। दिल के रोगियों के साथ अति गंभीर स्थिति में आने वाले व्यक्तियों को भी इन्हें साथ रखने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं, यदि आप पूरी तरह स्वस्थ हैं, तब भी गोली जरूर साथ रखें। ऐसा करके आप किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर उसकी जीवन की रक्षा करने में भूमिका निभा सकते हैं।
जीएमसी के कार्डियोलाजी विभाग के प्रो. डा. अजय शर्मा ने बताया कि मौसम में परिवर्तन और सर्दी में हृदय रोगियों की दिक्कत बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तापमान कम होने से खून की नलियां सिकुड़ जाती हैं। इससे हृदय को शरीर में खून और आक्सीजन पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसी अवस्था में हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है। डा. शर्मा ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में सभी हृदय रोगियों एवं बुजुर्गों के पास जीवन रक्षक दवाएं एक पाउच में हमेशा उपलब्ध होनी चाहिए। इनमें जोर से चक्कर आने पर, पसीना और उल्टी होने पर तुरंत डिस्प्रिन 325 मिली ग्राम की एक टैबलेट (एक कटोरी पानी में घोल कर लेनी है) या क्लोपिडोग्रिल 75 मिली ग्राम की चार टैबलेट (एक साथ पानी से लेनी है) या एटोरवास्टेटिन 80 मिली ग्राम की एक गोली लेनी है। यदि सीने में भारीपन और दर्द हो तो एक गोली सार्बिट्रेट की लेनी है। अगर सीने में बायीं तरफ दर्द है तो जीभ के नीचे सार्बिट्रेट की पांच मिलीग्राम गोली पानी से लें। यह दवाइयां लेने के बाद जल्द से जल्द किसी अस्पताल में पहुंचना चाहिए। इनमें से कोई भी एक दवा ली जा सकती है।
सीपीआर से बच सकती है जान
अगर हार्ट अटैक आने पर मरीज बेहोश है, तो उसे सीपीआर देना शुरू करें। इसमें व्यक्ति की छाती के केंद्र पर जोर और तेजी से धक्का दें। एक मिनट में लगभग 100 से 120 बार ऐसा करें। इसके बाद भी यदि व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है या आपको नाड़ी नहीं मिल रही है, तो आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए मदद मांगें। हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि सीपीआर की प्रक्रिया के जरिए कृत्रिम विधि से हृदय को रक्त प्रवाहित करने में मदद मिलती है और शरीर के अंगों तक आक्सीजनयुक्त रक्त पहुंचने लगता है। दरअसल, दिल का दौरा पड़ने से हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
कुछ ऐसी दवाएं हैं जो कि सरकार भी लोगों को अपने पास रखने की अपील करती है। उन दवाओं का अपके पास इमरजेंसी में होना जरुरी होता है। यह काफी सस्ती दवाएं होती हैं, जो कि कोई भी अपने पास रख सकता है, लेकिन दवा लेने के तुरंत बाद ही मरीजों को अस्पताल लेकर आना जरूरी है। अगर मरीज अटैक के दौरान बेहोश हो रहा है, तो सीपीआर देने का प्रयास करें। यह प्रक्रिया करीब 100 से 120 दफा की जाना चाहिए।