पटना। एक लीटर दूध की कीमत कितनी हो सकती है? 40, 50 या ज्यादा से ज्यादा 100 रुपए लीटर। लेकिन, पटना में दूध आजकल एक हजार रुपए लीटर बिकने लगा है। ऐसा होने की वजह है डेंगू का संक्रमण। दरअसल, लोग डेंगू से बचाव के नाम पर बकरी का दूध पी रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा करना कितना सही है?
पटना में महामारी का रूप ले चुका है डेंगू
पटना में डेंगू महामारी का रूप ले चुका है। हर दिन रिकार्ड नए मरीज मिल रहे हैं। बुखार पीडि़त 70 प्रतिशत लोगों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। हालांकि हर सौ में करीब पांच रोगियों में गंभीर लक्षण भी दिख रहे हैं और 10 प्रतिशत ही अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों में से आधे रोगी डेंगू के हैं।
बकरी के दूध और पपीते की पत्तियों की डिमांड
इसी के साथ आमजन बकरी के दूध और पपीते की पत्तियों के लिए भटक रहे हैं। मांग के कारण बकरी का दूध हजार रुपये लिटर तक पहुंच गया है। एलोपैथिक डाक्टर बकरी के दूध और पपीते के रस को डेंगू उपचार में सहायक के बजाय नुकसानदेह करार दे रहे हैं लेकिन दोनों की मांग में कोई कमी नहीं आ रही है।
पपीते की पत्तियों से प्लेटलेट्स बढ़ने का दावा
वहीं आयुर्वेदिक डाक्टर बकरी के दूध को तो फायदेमंद नहीं मानते लेकिन शोध में पपीते की पत्तियों के रस को प्लेटलेट़स बढ़ाने में सहायक बता रहे हैं। हालांकि, इस बात से दोनों सहमत हैं कि करीब आधे लोगों को पपीते की पत्तियों के रस से उल्टी हो जाती है जिससे डेंगू के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। वहीं, बकरी के दूध को कच्चा पीने, देरतक बिना उबाले रखने से उससे भी उल्टी व डायरिया की शिकायत हो रही है।
घरेलू नुस्खे ऐसे बन रहे डेंगू मरीजों की मुसीबत
पीएमसीएच के प्रो. डा. राजीव कुमार सिंह के अनुसार डेंगू वायरस से संक्रमित होने पर प्लेटलेट्स बनने कम हो जाते हैं। जैसे ही डेंगू ठीक होता है प्लेटलेट्स बढऩे लगते हैं। पपीते की पत्ती का रस स्वाद में तीखा होता है। इससे उल्टी हो जाती है और कई बार पत्ते ठीक से साफ नहीं के कारण पेट में संक्रमण हो जाता है।
कच्चा दूध पीने से लिवर की समस्या
वहीं, गाय-भैंस के बजाय बकरी के दूध में सीलिनियम और अपेक्षाकृत कुछ अधिक प्रोटीन को छोड़कर कोई अंतर नहीं होता है। इसके विपरीत कच्चा दूध पीने से पेट व लिवर संबंधी समस्याएं लेकर कई मरीज आते हैं। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक डा. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि कच्चे पपीते की पत्तियों के रस से प्लेटलेट्स बढ़ाने और बकरी के कच्चे दूध की डेंगू उपचार में उपयोगिता के बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
डेंगू है वायरल बुखार, इसकी दवा नहीं
किसी मरीज को डेंगू होते ही ये उपाय करने की सलाह नहीं दी जाती है। इसका उपयोग करने वाले कई लोग डायरिया की शिकायत लेकर आते हैं। जिला मलेरिया पदाधिकारी डा: सुभाष चंद्र प्रसाद के अनुसार डेंगू वायरल बुखार है, इसकी कोई दवा नहीं है। लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। बुखार की दवा से अधिकतर रोगी ठीक होते जाते हैं। कुछ डाक्टर मरीज के मानसिक संतोष के लिए पपीते की पत्तियों की गोली आदि प्रिस्क्राइब कर देते हैं।
वैद्य भी मानते हैं बेवजह नहीं करें सेवन
राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में सहायक प्राध्यापक डा. अमरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार पपीते की पत्ती में प्लेटलेट्स बढ़ाने का गुण है, लेकिन इसे बिना जरूरत लेने की जरूरत नहीं है। बकरी का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए है, यह डेंगू की दवा नहीं । वहीं वैद्य सुशील कुमार झा ने बताया कि एशियन पैसिफिक जर्नल आफ ट्रापिकल बायोमेडिसिन में पपीते की पत्ती के रस में प्लेटलेट्स बढऩे का तथ्य साबित हुआ है।
खूब पानी पिएं, हल्दी मिला दूध लें
डा. अमरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार यदि डेंगू रोगी के प्लेटलेट्स खतरनाक स्तर तक कम नहीं होते हैं तो उसे पपीते के पत्ते की गोलियां आदि लेने की जरूरत नहीं है। डेंगू होने के बाद खूब पानी, नारियल पानी, ओआरएस के अलावा छोटा चम्मच हल्दी मिला दूध, तुलसी के पत्तों को उबाल कर उसका पानी, गिलोय काली मिर्च तुलसी के पत्तों का नींबू मिला काढ़ा आदि पिएं इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। बकरी के दूध को कच्चे के बजाय उबाल कर पिएं।
डेंगू का मानक उपचार
प्रो. डा. राजीव कुमार सिंह, डा. मनोज कुमार सिन्हा और जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. सुभाष चंद्र प्रसाद के अनुसार डेंगू अन्य वायरल की तरह है। इसके 90 प्रतिशत मरीज पांच से छह दिन में घर पर सामान्य बुखार की दवा से स्वस्थ हो जाते हैं। इस बीच मरीजों को लक्षणों के आधार पर बुखार व गैस की दवा के साथ शरीर को नम रखने के लिए अधिक से अधिक पानी, ओआरएस, नारियल पानी आदि लेने की सलाह दी जाती है।
दो दिन में नहीं उतरे बुखार, तो कराएं जांच
इस रोग में प्लेटलेट़स तेजी से कम होती है, इसलिए इसकी सतत निगरानी जरूरी है। प्लेटलेट़स कम होने पर आंतरिक अंगों में रक्तस्राव हो सकता है, जो घातक हो सकता है। सौ में एकाध रोगी को बेहोशी यानी शाक सिंड्रोम या धमनियों से पानी रिस कर लिवर-फेफड़े में जमा होने लगता है। इसलिए जरूरी है कि बुखार दो दिन में नहीं उतरे तो डेंगू की जांच कराएं और लक्षणों व प्लेटलेट़स पर नजर रखें।