ड्रीम चाइल्ड के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे माता-पिता, गर्भ में ही बच्चों को सिखाए जा रहे हिंदू संस्कार

Parents using technology for dream child, Hindu rites being taught to children in the womb itself
Parents using technology for dream child, Hindu rites being taught to children in the womb itself
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नई दिल्ली: एक छोटी बच्ची ‘मुन्नी बदनाम हुई, डॉर्लिंग तेरे लिए’ गाने की धुन पर डांस करती दिखती है, इसके बाद दूसरी स्लाइड में एक बच्चा संस्कृत श्लोक और मंत्रों को बोलता है। इसके बाद एक शख्स पूछता है कि आप किस तरह के बच्चे की चाहत रखती हैं? इस तरह अपना आइडिया पिच करने वाले ऐप्स मार्केट में आ चुके हैं, जो गर्भ संस्कार की दुनिया के बारे में महिलाओं को जानकारी देते हैं। ये लोग ऐप वीडियो और वर्कशॉप के माध्यम से कई गर्भवती महिलाओं को बताते हैं कि कैसे अपने होने वाले बच्चे को हिंदू संस्कार, आध्यात्मिकता और बुद्धिमत्ता से जोड़ा जाए। भला कौन माता-पिता अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना नहीं चाहेंगे, इसलिए लाखों लोग इन ऐप्स की मदद ले भी रहे हैं। वहीं ऐप्स ये दावा करते हैं उनकी वजह से लोगों को गुणवान बच्चे मिल रहे हैं।

कर सकती है बच्चे को डिजाइन
कुछ ऐप दावा करते हैं कि गर्भ में ही बच्चे के रूप और पर्सनैलिटी को मां द्वारा आकार दिया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक मां अपने बच्चे को डिजाइन कर सकती है। इसके लिए ही गर्भ संस्कारों का पालन करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने गर्भावस्था के नौ महीनों का सकारात्मक इस्तेमाल करें। इस दौरान मां संस्कृत श्लोकों का जाप करें या फिर सुनें, भगवान से प्रार्थना करें, गर्भ संवाद यानी बच्चे से बात करें, ध्यान और योग जैसी प्रैक्टिस को करें। कृष्णा कमिंग गर्भ संस्कार ऐप के फाउंडर प्रोफेसर विपिन जोशी कहते हैं कि गर्भ संस्कार माता-पिता की बच्चों के गुणों को आकार देने में मदद कर सकते हैं।

माता-पिता को बनाना होता है ड्रीम चार्ट
ड्रीम चाइल्ड ऐप के सीईओ धवल छेटा कहते हैं कि इसके लिए माता-पिता से एक ‘ड्रीम चार्ट’ बनाने के लिए कहा जाता है, जिसमें वे सभी गुण शामिल हों, जो वे बच्चे में चाहते हैं। बच्चों को डिजाइन करने के ऐप और टेक्नोलॉजी भले की काफी चर्चा में हो, लेकिन इसने एक नैतिक बहस को भी जन्म दे दिया है। वैदिक परंपरा और हिंदू संस्कार हाल ही में तब सुर्खियों में आए, जब टीओआई ने RSS की महिला विंग राष्ट्र सेविका समिति की एक शाखा संवर्धनी न्यास ने जेएनयू में गर्भ संस्कारों पर एक वर्कशॉप आयोजित की और उसमें दावा किया गया कि पारंपरिक प्रथाओं का पालन करने से ये सुनिश्चित होगा कि जन्म लेने वाले बच्चे गुणवान और देशभक्त हिंदू होंगे।

दुनियाभर में माता-पिता कर रहे ऐप्स का इस्तेमाल
हालाकिं कई लोग इससे प्रभावित भी होते हैं। एक प्रतिभाशाली संस्कारी बच्चे के प्रलोभन के लिए कुछ खास करने का विरोध भी करना मुश्किल है। शिकागो की रहने वाली शिवानी गुप्ता, जिनका बेटा कृशिव नौ महीने का है ने अपनी गर्भावस्था के दौरान कृष्णा कमिंग ऐप का इस्तेमाल किया। वह दावा करती है कि इससे फर्क पड़ा। उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा 7 महीने में ही चलने लगा और राधे-राधे और राम जैसे शब्द बोलने लगा। मेरे अन्य बच्चों से वो अलग है। वो हमारी परंपराओं से जुड़ा हुआ है।’ उनके सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति वरुण का कहना है कि ऐप ने उन्हें अपनी भूली हुई जड़ों को वापस पाने में मदद की है।

वैदिक संस्कारों को टेक्नोलॉजी के माध्यम से सिखाया जाता है
गर्भ संस्कार बिल्कुल नया नहीं है। हमारी पौराणिक कहानियों में इसके कई उदाहरण मिलते हैं। हमने महाभारत में अर्जुन के बेटे अभिमन्यु की कहानी सुनी है, जिसने अपनी मां के गर्भ में ही युद्ध की रणनीति सीख ली थी। इसके अलावा भक्त प्रह्लाद ने अपनी मां के गर्भ में ही मंत्र सुने और वो भगवान विष्णु के भक्त बन गए। ये ऐप्स इस तरह की कहानियों के माध्यम से संस्कारों से जोड़ते हैं। मैजेस्टिक गर्भ संस्कार के फाउंडर प्रशांत अग्रवाल का दावा है कि ऐप के फाउंटर टीम ने पीएम मोदी की मां का इंटरव्यू लिया, जिन्होंने उन्हें बताया कि उन्होंने महाभारत तब सुनी जब मोदी उनके गर्भ में थे। वे कहते हैं कि हम जानते हैं कि पीएम मोदी की राजनीतिक सोच और रणनीति उनके विरोधियों से कई कदम आगे है।

ड्रीम चाइल्ड की तरह जन्म ले रहे बच्चे
गर्भ संस्कार ऐप का इस्तेमाल करने वाली 28 साल की वृंदा छाता बताती हैं कि वो 2020 में जब गर्भवती हुईं तो उन्होंने ड्रीम चाइल्ड ऐप का इस्तेमाल करना शुरू किया। उनका बच्चा बिल्कुल उनके ड्रीम चाइल्ड की तरह है, जैसा उन्होंने गर्भ के दौरान सोचा था। कई बिजनेसमैन माता-पिता भी इन ऐप्स की तारीफ करते हैं। जैसे कि उनका दो महीने का बच्चा ‘ॐ’ बोलता है या फ्लैशकार्ड से विमान और ट्रक की सही पहचान कर सकता है।

99 रुपये से 15 हजार रुपये तक फीस
माइंड ट्रेनर और गर्भ संस्कार कोच विष्णु माने माता-पिता से उन गुणों की लिस्ट बनाने के लिए कहते हैं, जो वे बच्चों के भीतर चाहते हैं। वे कहते हैं कि उनकी कल्पना के अनुसार ही बच्चे जन्म लेते हैं। माने 99 रुपये में बच्चे के डेवलेपमेंट को बेहतर बनाने के लिए 9 दिनों का टास्क पेश करते हैं। हालांकि ऐप पर 15 हजार रुपये के सब्सक्रिप्शन प्लान हैं, जो लोग अपने हिसाब से चुन सकते हैं।

अलग-अलग तरह के हैं प्रोग्राम
प्रत्येक ऐप के लिए अलग रेजिमेन है। ऐप पर कृष्ण आगमन प्रोग्राम की शुरुआत संकल्प पूजन से होती है, जहां माता-पिता हवन करके संकल्प लेते हैं। गर्भवती मां से अपेक्षा की जाती है कि वह वैदिक मंत्र, पूजा-भजन और संगीत चिकित्सा जैसी चीजों को फॉलो करेगी। कुछ महीनों के दौरान खास प्रार्थनाएं की जाती हैं जैसे गर्भधारण के लिए प्रार्थना जिसे बीज शुद्धि कहा जाता है, पुंसवन संस्कार जिसे गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान किया जाना चाहिए, और इष्ट मंत्र जिसे इष्ट देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 108 बार जपना होता है। इसके अलावा कुछ सेशन में योग, ग्रुप क्लासेस, पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट, ध्यान और डांस जैसी गतिविधियों की भी ट्रेनिंग दी जाती है।

लाखों लोग कर रहे ऐप्स का इस्तेमाल
कृष्णा कमिंग के वीपी (डिजिटल ग्रोथ एंड मार्केटिंग) साकेत शर्मा कहते हैं कि उनके पास एक एडवाइस सर्विस भी है। हमारे पास गर्भ सखियां हैं जो एक गर्भवती महिला की चिंताओं को दूर कर सकती हैं। उनका दावा है कि इसके 65,000 एक्टिव यूजर्स और पांच लाख डाउनलोड हैं। माने का कहना है कि 40,000 महिलाओं ने उनकी वर्कशॉप में भाग लिया है जबकि ड्रीम चाइल्ड का दावा है कि उनसे 1.5 लाख माता-पिता जुड़े हैं।