Parshuram Jayanti 2022: कल है परशुराम जयंती, किस शुभ मुहूर्त में करें पूजा-अर्चना

Parshuram Jayanti 2022: Tomorrow is Parshuram Jayanti, in which auspicious time to worship
Parshuram Jayanti 2022: Tomorrow is Parshuram Jayanti, in which auspicious time to worship
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Parshuram Jayanti 2022: परशुराम जयंती इस साल 3 मई को मनायी जाएगी. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम आज भी जीवित हैं. कहा जाता है कि परशुराम जन्म से ही ब्राह्मण थे और उनमे सारे के सारे गुण क्षत्रियों के थे. कथाओं की मानें तो अपनी पिता की हत्या का बदला लेने के लिए परशुराम ने 17 बार धरती को क्षत्रियों से विहिन कर दिया था.

भगवान परशुराम का जन्म कैसे हुआ

पौराणिक कथाओं की मानें तो महर्षि भृगु के पुत्र का नाम ऋचिक था जिनका विवाह सत्यवती के साथ हुआ था जो राजा गाधि की पुत्री थीं. वह अपने पिता की इकलौती संतान थी. ऐसे में महर्षि भृगु से अपने विवाह के उपरांत सत्यवती ने अपने पिता की संतान उत्पत्ति और अपने लिए भी योग्य संतान उत्पत्ति के लिए प्रार्थना की.

इसके बाद प्रसन्न होकर सत्यवती को महर्षि भृगु ने दो फल दिए और यह बताया कि इसमें से एक क्षत्रिय और एक ब्राह्मण गुणों से युक्त फल है. जिसमें से एक वह स्वयं काए और दूसरा फल अपनी माता को दे दे लेकिन गलती से सत्यवती ने अपने हिस्से का फल मां को और मां के हिस्से का फल खुद खा लिया. महर्षि भृगु को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने सत्यवती से हुई गलती पर कहा कि तुम्हारी गलती की वजह से तुम्हारा पुत्र ब्राह्मण होने के बाद भी क्षत्रिय गुणों से भरा होगा और तुम्हारी माता की संतान क्षत्रिय होने के बाद भी ब्राह्मणों की तरह आचरण से भरा होगा.

इस पर सत्यवती ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए महर्षि भृगु से झक्षमा मांगते हुए प्रार्थना कि की ऐसा नहीं हो बल्कि आप ऐसा वरदान दें कि मेरे पुत्र का पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला हो. सत्यवती की कोख से जमदग्रि मुनि ने जन्म लिया जिनका विवाह बाद में रेणुका से हुआ. इसी मुनि जमदग्रि के चौथे पुत्र के रूप में परशुराम ने जन्म लिया और उनका आचरण क्षत्रियों की तरह था.

ऐसे करें भगवान परशुराम की पूजा
तृतीया तिथि को जब लोग अक्षय तृतीया भी मना रहे होते हैं इस दिन सबको सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए नहीं तो थोड़ा सा गंगाजल पानी में मिलाकर उससे स्नान घर पर ही कर लें. उसके बाद पवित्र होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दौरान साफ सुथरी और पवित्र स्थान पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का स्थापित करना चाहिए. वहां धूप-दीप जलाएं, इसके बाद पंचोपचार की पूजा करें जिसमें चावल, अबीर, गुलाल आदि का प्रयोग करें. फिर भगवान परशुराम को भोग लगाएं. इसके बाद हाथ जोड़कर भगवान परशुराम के सामने अपने मन की इच्छाएं रखें उसके बाद आरती कर प्रसाद लोगों में बांटे. इस दिन व्रती को कोई अनाज नहीं खाना चाहिए वह फालाहार कर सकते हैं.

शुभ मुहूर्त के बारे में जानें
3 मई, 2022 को मंगलवार की सुबह 5:19 से तृतीया तिथि शुरू होगी जो 4 मई की सुबह 07:33 तक रहेगी. ऐसे में इसी समय इस व्रत की शुरुआत की जाएगी. ऐसे में 3 मई को ही यह त्यौहार मनाया जाएगा. भगवान परशुराम की पूजा का शुभ दिन यही होगा. 3 मई का दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है ऐसे में इस दिन मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है. ऐसे में यह तिथि बेहद शुभ मानी जा रही है.