देहरादून: ब्रिटिशकाल में रखे गए लैंसडौन नाम को बदले जाने से पहले ही उत्तराखंड में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने इस कवायद का विरोध किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वह लैंसडौन को गुलामी का प्रतीक नहीं मानते। उनके इस बयान पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पलटवार किया। भट्ट ने कहा कि कांग्रेस गुलामी की सोच में अब तक जकड़ी है। यही नहीं लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने कालौं का डांडा के बजाय कालेश्वर नगर या बलभद्र सिंह नेगी नगर नाम रखे जाने की वकालत की। उधर, लैंसडौन के कुछ स्थानीय लोगों व संगठन ने नाम बदलने की कवायद पर सवाल उठाया और इसका विरोध किया है।
भाजपा जनता का ध्यान भटकाने की कर रही कोशिश : माहरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि हम नहीं मानते कि लैंसडौन गुलामी का प्रतीक है। इस नाम की अपनी एक अगल पहचान है। तमाम उपलब्धियां इस नाम के साथ जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार रोज नए-नए शिगूफे छोड़कर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
विकास की तमाम योजनाएं ठप पड़ी
शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में पीसीसी अध्यक्ष ने कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला है। भाजपा की केंद्र सरकार ने पहले भी योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया था। अगर कुछ बदलना ही है तो लैंसडौन में सड़कों की हालत बदली जानी चाहिए। वहां मेडिकल कॉलेज खोलें, नर्सिंग कॉलेज खोलें, होटल मैनेजमेंट का इंस्टीट्यूट शुरू करें, तब जाकर वहां के लोगों का भला होगा। उन्होंने कहा कि कम पढ़े-लिखे लोग भाजपा के इन शिगूफों में बहक जाते हैं, जो पढ़े-लिखे और समझदार हैं, उन्हें इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
आज प्रदेश की हालत कुछ ऐसी है कि मुख्यमंत्री को खुद बार-बार कहना पड़ रहा है गड्ढों को भरो। स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून जैसे सुंदर शहर को बदहाल कर दिया है। विकास की तमाम योजनाएं ठप पड़ी हैं। महंगाई और बेरोजगारी अपने चरम पर है। जब सरकार को लोगों को राहत देने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तब वह नाम बदलने जैसी बातों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
लैंसडौन का नाम गुलामी की पहचान, इसे मिटना चाहिए : भट्ट
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर निशाना साधा कि वह गुलाम मानसिकता की जंजीरों में जकड़ी है और उसे अब इससे बाहर निकल जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के बयान पर कटाक्ष करते हुए भट्ट ने कहा कि लैंसडौन का नाम गुलामी की पहचान है और इसे मिटना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि रक्षा मंत्रालय की ओर से मांगे गए प्रस्ताव पर जल्द अमल होगा और लैंसडौन का नाम बदल जाएगा। भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम मानसिकता के प्रतीकों को हटाने का जो वचन लिया है, उसे उत्तराखंड सरकार पूरा करेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को दासता की सोच से बाहर निकलकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
लैंसडौन विधायक ने की दो नामों की सिफारिश
लैंसडौन नाम को लेकर भाजपा के भीतर भी एक राय नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कालौं का डांडा का नाम का समर्थन किया है, लेकिन क्षेत्रीय विधायक दिलीप रावत ने भी दो नाम सुझाए हैं। उनका कहना है कि यदि नाम बदला जाता है तो उनकी ओर से लैंसडौन का नाम कालेश्वर नगर या फिर गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट के संस्थापक लाट सुबेदार बलभद्र सिंह नेगी के नाम पर रखने का सुझाव रक्षा मंत्रालय को दिया गया है।
स्थानीय लोगों व संगठन नहीं चाहते लैंसडौन का बदले नाम
नगर के स्थानीय लोग व कुछ संगठन नाम बदलने के विरोध में हैं। नाम बदलने से संबंधित इस मामले में सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर लैंसडौन ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन (लोसा) ग्रुप में नाम बदलने का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। लोसा ग्रुप के अधिकांश सदस्यों ने इस कवायद को विकास के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने की साजिश बताया। कहा कि लैंसडौन नाम आज विश्व विख्यात हो चुका है। इसका नाम बदलने के बजाय अंग्रेजों के समय बने छावनी अधिनियमों में बदलाव किया जाना चाहिए। जनसेवा मंच लैंसडौन से जुड़े लोगों ने नाम बदलने के प्रयास को अनुचित बताते हुए राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है।