OBC वोटरों पर शिफ्ट हुई राजनीति, भाजपा की टेंशन बढ़ाने को सपा ने 50% से ज्यादा दिए टिकट

Politics shifted to OBC voters, SP gave more than 50% tickets to increase tension of BJP
Politics shifted to OBC voters, SP gave more than 50% tickets to increase tension of BJP
इस खबर को शेयर करें

OBC Vote Bank BJP SP Congress: मैं हैरान हूं कांग्रेस के हमारे साथियों को इतना बड़ा ओबीसी नजर नहीं आता… कुछ दिन पहले लोकसभा में अपनी तरफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही थी. यह एक लाइन अपने आप में समझाने के लिए काफी है कि लोकसभा चुनाव करीब आने पर कैसे राजनीति ओबीसी वोटरों को साधने पर केंद्रित हो गई है. सरकार में उच्च पदों पर ओबीसी कितने… जैसे सवाल कांग्रेस उठा रही है. राहुल गांधी यात्रा में लोगों से यही बात दोहरा रहे हैं. अब सपा के लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए तो उसका भी फोकस समझ में आ जाता है. जी हां, लोकसभा चुनाव को लेकर सपा ने ओबीसी कार्ड चला है. अखिलेश यादव PDA यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूले की बात करते रहे हैं लेकिन कैंडिडेट लिस्ट देखिए तो पता चलता है कि उनका पूरा फोकस ओबीसी वोटों पर है. यही ओबीसी भाजपा का सबसे बड़ा वोट बैंक है. सपा ने ठाकुर, दलितों और मुस्लिम कैंडिडेट के अलावा जाट, मौर्य, पटेल और वर्मा को भी टिकट दिया है. यह तो अभी शुरुआत है अभी 27 टिकट ही घोषित किए गए हैं.

27 में 15 ओबीसी

जी हां, सपा ने अभी तक कुल 27 उम्मीदवार उतारे हैं. उसमें दूसरी सूची में 11 में से 4 गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार शामिल हैं. पहली सूची में 16 में से 8 गैर-यादव ओबीसी प्रत्याशी उतारे गए थे. इस तरह से अब तक सामने आए 27 उम्मीदवारों में कुल 15 ओबीसी समाज से हैं.

यादव तो साथ लेकिन…

सपा को एक समय यादवों से ही जोड़कर देखा जाता था. वो सपा-बसपा का दौर था. आज जब बीजेपी ओबीसी में भी पिछड़े समाज को टारगेट कर रही है तो सपा यूपी के करीब 11 फीसदी यादवों के अलावा ओबीसी के बड़े तबके को अपने साथ जोड़ने की कोशिशों में जुट गई है. 24 साल पहले की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में ओबीसी की आबादी 54 फीसदी है.

भाजपा की रणनीति

पिछले दिनों जब बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ तो इसे बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना गया. सीएम नीतीश कुमार ही रहे लेकिन बीजेपी वहां की सत्ता में आ गई. इसका असर लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है. राहुल गांधी ‘न्याय यात्रा’ लेकर निकले हुए हैं और हर सभा में जाति जनगणना की बातें कर रहे हैं. ऐसे में संसद में बोलते हुए पीएम मोदी ने ओबीसी समुदाय का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय किया. इन्होंने ओबीसी नेताओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कर्पूरी ठाकुर का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि याद कीजिए अति पिछड़े ओबीसी समाज के उस महापुरुष के साथ क्या व्यवहार हुआ था.

आधी आबादी ओबीसी!

ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि ओबीसी वोटरों पर चुनाव केंद्रित क्यों दिख रहा है? दरअसल, देश की आबादी में ओबीसी समाज के लोग करीब 52 फीसदी हैं. ऐसे में यह वोट बैंक जिस तरफ झुकेगा उसकी जीत तय होगी. हालांकि इसमें भी दो तबका है. एक तबका जो थोड़ा संपन्न है और उसे प्रतिनिधित्व मिल चुका है और कई पार्टियों में उनका बोलबाला है. दूसरा तबका उनका है जिन्हें कोई प्रतिनिधित्व नहीं है और वे अति पिछड़े श्रेणी में कहे जा सकते हैं. बीजेपी इन्हीं अति पिछड़ों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है. दूसरी तरफ, सपा ने पार्टी रैंक में ओबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ाया है और अब कैंडिडेट सिलेक्शन में भी ओबीसी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में कमजोर ओबीसी जातियों के वोटर बीजेपी की ओर ज्यादा आकर्षित हुए हैं. पहले ओबीसी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों को ही वोट करता था लेकिन मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद ये सपा, जनता दल, आरएलडी, जेडीएस जैसी पार्टियों के साथ चला गया.

प्रधानमंत्री खुद ओबीसी हैं और गैर-रसूखदार ओबीसी की जातियों को लुभाने में बीजेपी काफी हद तक कामयाब रही है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण देने की तैयारी है लेकिन ओबीसी आरक्षण को कम नहीं किया जाएगा. बीजेपी ने यह बात जोर-शोर से कही है कि ओबीसी आरक्षण और दूसरी सुविधाओं का फायदा अति पिछड़ी जातियों को नहीं मिल रहा है. पीएम रैलियों में जातियों के नाम भी लेते रहे हैं जिससे उन वोटरों को अपने प्रतिनिधित्व का एहसास हो. 90 के दशक में ही कांग्रेस से ओबीसी वोटर दूर चले गए थे. राहुल गांधी को पता है कि ओबीसी वोटर अगर लौटे तो पलड़ा भारी हो सकता है. यही वजह है कि कांग्रेस जातीय जनगणना का पुरजोर समर्थन कर रही है. महिला आरक्षण बिल में ओबीसी कोटे की मांग की गई है. इस तरह से देखें तो भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और सपा का भी ओबीसी पर फोकस ज्यादा दिख रहा है.