फोन पर रिकॉर्डेड आवाज से संभलकर! एक कॉल से उड़े डिलिवरी एप वाले खाते से 97 हजार

Be careful with recorded voice on phone! 97 thousand lost from delivery app account through one call
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Cyber Fraud Delhi: अगली बार फोन की घंटी बजे और उधर से रिकॉर्डेड आवाज सुनाई दे तो जरा सतर्क हो जाइएगा. यह फ्रॉड कॉल भी हो सकती है. दिल्ली में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म से एक ऑटोमेटेड कॉल आई और 26 साल की कारोबारी महिला के बैंक खाते से 97,000 रुपये गायब हो गए. साउथ दिल्ली की उस महिला ने फौरन स्थानीय साइबर सेल से संपर्क किया. जांच में एक पूर्व डिलिवरी ब्वाय के गैंग की धोखाधड़ी पता चली, जिसमें उसका एक साथी भी शामिल था.

IVR सिस्टम के जरिए फ्रॉड

यह गैंग फूड डिलिवरी एप से जुड़े बैंक खाते को हैक करने के लिए IVR (इंटरैक्टिव वॉइस रिस्पांस) सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा था. यह स्वचालित टेलिफोन प्रणाली होती है जिसमें पहले से रिकॉर्ड मैसेज समेत कई इंटरफेस शामिल होते हैं. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक डीसीपी (साउथ) अंकित चौहान ने बताया कि आरोपियों की पहचान गुरुग्राम के अनिकेत कालरा और हिमांशु के रूप में हुई है. पुलिस ने आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जिसमें एक अपराध में इस्तेमाल किया गया था. तीन सिम कार्ड के अलावा 9 क्रेडिट और डेबिट कार्ड, एक नकली आधार कार्ड भी बरामद किया गया है.

मेरे फोन की घंटी बजी

पीड़ित महिला ने पुलिस को बताया कि उसे पहले से रिकॉर्ड किया जैसा संदेश मिला था. उसे बताया गया कि कोई उसके ऐप खाते को एक्सेस करने की कोशिश कर रहा है. चालबाजी से उसे कुछ नंबर दबाने के लिए कहा गया. अगले ही मिनट उसके फूड डिलिवरी अकाउंट के साथ लिंक लेजी पे अकाउंट से पैसा कट गया. इस पैसे का इस्तेमाल कर एप से कई सामान खरीदे गए.

ठगी के पैसे से क्या खरीदते थे?

एक अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों के खाते से ये संदिग्ध किराने के सामान का बड़ा ऑर्डर देते थे. बाद में उन चीजों को स्थानीय बाजारों में बेच देते थे. नंबर की जांच से पता चला कि यह एक वर्चुअल नंबर था और इसमें इस्तेमाल किया गया सिम फर्जी दस्तावेज पर लिया गया था. पुलिस ने गुरुग्राम के उस पते को ढूंढ निकाला जहां सामानों की डिलिवरी हुई थी. इसके बाद दोनों संदिग्ध पकड़ लिए गए. एसीपी राजेश कुमार और एसएचओ अरुण वर्मा की टीम ने छापा मारकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों ने बताया कि वे कम कीमत पर ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्मों से किराने का सामान खरीदते थे और उन्हें बाजार में बेचते थे. इस तरह से हर ऑर्डर पर उन्हें 5 से 10% की बचत होती थी. वे एक टेलिग्राम चैनल के मेंबर थे जहां पंजाब के एक शख्स ने उन्हें आईवीआर प्रणाली का उपयोग करना सिखाया था. संदिग्ध ने पुलिस को उन लोगों के डेटा भी दिए जिन्होंने अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग को अपने फूड डिलिवरी ऐप खाते से जोड़ा था. डीसीपी ने आगे बताया कि पीड़ितों के पास जितनी धनराशि उपलब्ध होती थी, उतने ही पैसे से कालरा किराने के सामान का ऑर्डर देता था. पुलिस उन तक न पहुंच सके और किसी तरह का शक न हो इसलिए गुरुग्राम में डिलिवरी के पते भी अलग-अलग दिए गए थे.