बिहार में बदलेगी जमीन मापी की प्रक्रिया, CO की भूमिका बढ़ी; जान लें अब कैसे होगा पब्लिक का काम

Process of land measurement will change in Bihar, role of CO increased; Know how public work will be done now
Process of land measurement will change in Bihar, role of CO increased; Know how public work will be done now
इस खबर को शेयर करें

पटना: Bihar Governmtne: बिहार में में जमीन की मापी कराने के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा कुछ महीने पहले शुरू हुई थी। लेकिन, अब इसकी प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी हो रही है। इसकी मुख्य वजह कर्मचारी के स्तर पर इन आवेदनों के निपटारे में लापरवाही या अन्य किसी कारणों से अधिक समय लगाना है। इसे ठीक करने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है।

विभाग के अनुसार अब नई व्यवस्था के अंतर्गत जमीन की मापी कराने के लिए आने वाले आवेदनों को कर्मचारी के पास नहीं भेजा जाएगा। सीओ (अंचलाधिकारी) की ओर से सभी आवेदनों को सीधे अमीन के पास मापी के लिए भेज दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में कर्मचारियों की भूमिका पूरी तरह से समाप्त कर दी जाएगी। इससे आवेदनों के निष्पादन में देरी नहीं हो सकेगी। मिली जानकारी के अनुसार, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग फिलहाल इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटा है। चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही इस पर कोई अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है। फिलहाल विभागीय स्तर पर इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

जटिल प्रक्रिया के कारण 10 दिन की जगह लग रहा एक महीना

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के स्तर से जमीन की ऑनलाइन मापी कराने के लिए ई-मापी नामक वेबसाइट बनाई गई है। साथ ही यह प्रावधान किया गया है कि इसके माध्यम से मापी के लिए आवेदन करने वाले को अधिकतम 10 दिनों में मापी करा दी जाएगी। सीओ के पास आने वाले इन आवेदनों को पहले कर्मचारी के पास भेजा जाएगा, वहां से जमीन से संबंधित सभी बातों की जांच करने के बाद इसे अमीन के पास मापी के लिए भेजा जाएगा। इसके लिए आवेदकों को एक तारीख मुहैया कराई जाती है, जिस पर उपस्थित होकर सभी संबंधित लोग मापी करवा सकते हैं। लेकिन इस मौजूदा प्रक्रिया में 10 दिन के स्थान पर जमीन मापी कराने में महीनेभर या ज्यादा समय लग रहा है। लंबित आवेदनों की संख्या 10 हजार से अधिक हो गई है।

लटकाकर रखते हैं मामला
विभागीय स्तर पर लंबित पड़े मामलों की पूरी समीक्षा करने के बाद यह बात सामने आई कि कर्मचारी के स्तर पर इन आवेदनों का निपटारा करने में काफी समय लग रहा है। कुछ मामलों में कर्मचारी आदतन इन्हें जानबूझ कर लटका कर रखे रहते हैं। इस कारण मामले का निपटारा समय पर नहीं हो पा रहा है। इसके मद्देनजर विभाग इसमें बदलाव करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।