Rajasthan Politics : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मणों को लुभाने में लगे गहलोत, कर रहे हैं ये खास सर्वे

Rajasthan Politics: Gehlot engaged in wooing Brahmins just before assembly elections, doing this special survey
Rajasthan Politics: Gehlot engaged in wooing Brahmins just before assembly elections, doing this special survey
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जयपुर : राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023) से ठीक पहले सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बड़ा दांव चला है। मुख्यमंत्री ने अभी से ब्राह्मणों को रिझाना शुरू कर दिया है। ब्राह्मण समाज, राज्य में एक बड़ा वोट बैंक है। इन्हें साधने के लिए राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड के जरिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। ब्राह्मण समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों की पहचान करने और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े परिवारों की समस्याओं का अध्ययन करने का जिम्मा विप्र कल्याण बोर्ड को दिया गया है।

बोर्ड ने जारी किया विज्ञापन, विप्र समाज के उत्थान के लिए मांगे सुझाव
सोमवार यानी 1 अगस्त को राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में विप्र समाज अर्थात ब्राह्मण समाज के समक्ष आने वाली समस्याओं को जानने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। साथ ही समाज के सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्थान के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। इस संबंध में भी सुझाव मांगे गए हैं। आगामी 10 सितंबर तक ये सुझाव विप्र कल्याण बोर्ड को भेजे जा सकते हैं। इस संबंध में आदेश जारी करने के साथ ही सभी प्रमुख न्यूजपेपर में विज्ञापन भी प्रकाशित करवाया गया है।

30 विधानसभा सीटों को प्रभावित करते हैं ब्राह्मण, वर्तमान में 18 विधायक भी
सूबे में ब्राह्मणों की आबादी करीब 13 फीसदी है, लेकिन 30 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण मतदाता हार जीत तय करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में कुल 200 विधायकों में से 18 विधायक ब्राह्मण समाज से हैं। वहीं दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस में ब्राह्मण प्रतिनिधियों को अहम जिम्मेदारी मिलती रही है। बीजेपी की ओर से राम मंदिर के मुद्दे को भुनाने पर ब्राह्मण समाज उनकी ओर आकर्षित होता जा रहा था। ऐसे में कांग्रेस की ओर से ब्राह्मणों को सामाजिक और शैक्षणिक लाभ पहुंचाकर अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है।

राम मंदिर मुद्दे के बाद ब्राह्मण बीजेपी की ओर हुए आकर्षित

भारत के लोग धार्मिक परंपराओं में ज्यादा आस्था रखते हैं। सभी समाजों और समुदाय के लोग अपने अपने जाति और धर्म के प्रति संवेदनशील होते हैं। देश में राम मंदिर एक बड़ा मुद्दा था। केंद्र में बीजेपी शासन के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से केस का फैसला आने के बाद अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण कार्य शुरू हो गया है। ऐसे में केंद्र की सत्ता में आसीन बीजेपी इस मुद्दे को प्रमुखता से भुना रही है। ब्राह्मण वोट बैंक को खिसकते देखकर कांग्रेस अब ब्राह्मणों के सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्थान के लिए कदम उठा रही है। ताकि उन्हें डायवर्ट होने से रोका जा सके।

EWS के तहत आरक्षण दिया और बाद में रियायत भी दी
राजस्थान सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान लागू किया। इसमें सवर्ण जातियों के गरीब और निम्न वर्ग के लोगों को भी 10 फीसदी आरक्षण का फायदा मिलने लगा। शुरुआत में इसके प्रावधान काफी कठिन थे लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नियमों में शिथिलता प्रदान की। मुख्यमंत्री ने चल संपत्ति के प्रावधान को खत्म करते हुए केवल पारिवारिक आय के आधार पर ही पात्रता तय की। ऐसे में ब्राह्मण समाज के अधिकांश लोग इस आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।