धरातल पर दिखेगी सरस्वती नदी: हिमाचल-हरियाणा ने आदिबद्री बांध के लिए मिलाया हाथ

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शिमला/चंडीगढ़। सरस्वती नदी अब धरातल पर नजर आएगी। देवभूमि हिमाचल और हरियाणा मिलकर इसे पुनर्जीवित करेंगे। पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में शुक्रवार को हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मौजूदगी में आदिबद्री बांध निर्माण के लिए एमओयू किया गया। इसके तहत तीन किलोमीटर लंबी झील बनेगी। बांध से 20 क्यूसिक पानी साल भर सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। जयराम ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना पूरा होगा। उन्होंने 3 अप्रैल, 2014 को कुरुक्षेत्र में सरस्वती नदी का पुनरुत्थान करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी। इस परियोजना से प्रदेश की 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रतिवर्ष पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति होगी।

प्रभावित बस्तियों के लिए सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा। परियोजना के लिए धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार करेगी। विस्थापित परिवारों को उचित मुआवजे की व्यवस्था की जाएगी। आने वाले दिनों में परियोजना से जुड़ी सभी औपचारिकता पूरी कर बांध का शिलान्यास किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश व हरियाणा सरकार साथ मिलकर कई अन्य परियोजनाओं की भी रूपरेखा तैयार कर रही हैं। इससे दोनों क्षेत्रों में पर्यटन विकसित होगा। मनोहर लाल ने कहा कि आदिबद्री डैम के निर्माण से वर्षों पहले विलुप्त हुई सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा। आदिकाल से पूजनीय सरस्वती नदी के प्रवाह स्थल के आसपास धार्मिक मान्यताएं पुन: जागृत होंगी।

इसके साथ-साथ यह क्षेत्र तीर्थाटन के रूप में भी विकसित होगा। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के प्रवाह के संबंध में न केवल धार्मिक मान्यता है, बल्कि सैटेलाइट से स्पष्ट हुआ है कि जमीन के अंदर आज भी इसका प्रवाह है। सरस्वती नदी पर शोध के संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना कर रखी है। हरियाणा सरस्वती हैरिटेज डेवलेपमेंट बोर्ड बनाया है। सरकार ने आदिबद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 किलोमीटर दूरी के क्षेत्र को सरस्वती नदी के लिए अधिसूचित किया है। राजस्व रिकॉर्ड में भी इसका जिक्र मिलता है।

हिमाचल क्षेत्र की 31.16 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा बांध
आदिबद्री बांध हिमाचल की 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। इस पर 215.33 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें हर वर्ष 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी का भंडारण होगा। 61.88 हेक्टेयर मीटर पानी हिमाचल व शेष करीब 162 हेक्टेयर मीटर पानी हरियाणा को मिलेगा। इस पानी को सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। बांध की चौड़ाई 101.06 मीटर व ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। बांध बनाने का मकसद सरस्वती नदी के पुनरूद्धार के साथ-साथ भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है। डैम के शुरू होने से बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। इसके नजदीक बनने वाली झील से पर्यटन बढ़ेगा।

तीर्थाटन के रूप में भी होगा विकसित
पर्यटन की दृष्टि से कालका से कलेसर तक का क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्रादेवी सहित अनेक धार्मिक व पर्यटन स्थल आते हैं। बांध के साथ-साथ यहां झील बनने से बहुत से पर्यटक आएंगे। इससे दोनों प्रदेशों को लाभ मिलेगा।

हथनीकुंड बैराज पर भी बनेगा बांध
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, जिसमें हथनीकुंड बैराज पर बांध बनाया जाना भी शामिल है। इससे बिजली उत्पादन के साथ-साथ यमुना नदी में भी साफ पानी का निरंतर प्रवाह संभव हो सकेगा। इसमें पहाड़ों से हथनीकुंड बैराज पर आने वाले पानी को संचित किया जाएगा, जिससे फसलों को बाढ़ जैसी स्थिति से भी बचाया जा सकेगा। इस बांध के लिए एनओसी मांगी गई है, जल्द सर्वे का काम शुरू होगा।

सिर्फ 21 परिवार होंगे विस्थापित
इस परियोजना से हिमाचल की 77 एकड़ भूमि जलमग्न होगी। प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज और जलवायु संरक्षण पैकेज के साथ भविष्य में आदि बद्री बांध से संबंधित लागत/व्यय हिमाचल प्रदेश की प्रचलित नीतियों व अन्य प्रचलित कानूनों के अनुसार हरियाणा सरकार की ओर से वहन किया जाएगा तथा इससे संबंधित कोई भी देनदारी हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित नहीं की जाएगी।