गंगा किनारे फोरलेन को लेकर वैज्ञानिक ने चेताया, PM मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- न बचेगी गंगा न बचेगा काशी…

Scientist warned about the forelane on the banks of the Ganges, wrote a letter to PM Modi, said- Neither Ganga will be saved nor Kashi will be saved...
Scientist warned about the forelane on the banks of the Ganges, wrote a letter to PM Modi, said- Neither Ganga will be saved nor Kashi will be saved...
इस खबर को शेयर करें

वाराणसी : गंगा किनारे उस पार नदी के समानांतर बनने वाली फोरलेन गंगा की मार्फालाजी यानी आकृति विज्ञान को बदल देगी। इससे नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। सिर्फ नदी ही नहीं, नदी की पूरी पारिस्थितिकी बदली तो काशी का स्वरूप भी बदल जाएगा। फिर आने वाले भविष्य में न तो गंगा बचेंगी और न ही काशी का यह अद्भुत रूप। यह कहना है गंगा व पर्यावरणविद प्रो. उदयकांत चौधरी का। वह गंगा किनारे फोरलेन सड़क के निर्माण की बात सुन चिंतित हैं। वयोवृद्ध गंगाविद प्रत्येक शनिवार को प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख इससे होने वाली हानियों से अवगत करा रहे हैं और गंगा को बचाने की गुहार लगा रहे हैं।

IIT BHU में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर रहे गंगाविद् प्रो. उदयकांत चौधरी 25 वर्षों से गंगा पर शोध कर रहे हैं। गंगा की आकृति विज्ञान का अध्ययन कर उन्होंने इसकी तुलना मानव शरीर से की है और इसके आधार पर नदियों को वनस्पतियों की तरह सजीव प्राणी बताया है। इस पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है, ‘गंगा और मानव शरीर में जीवंत समरूपता’।

शुरू से गंगा की बांधों से मुक्ति को ही गंगा का पुनर्जीवन बता रहे प्रो. यूके चौधरी अब गंगा किनारे उस पार रेती में बनने वाली फोर-लेन सड़क निर्माण से चिंतित हैं, वह इसे गंगा की मार्फालाजी बदलने वाला कदम बता रहे हैं। उनका कहना है कि नदी की वक्रारिता अपकेंद्रीय बल व अभिकेंद्रित बल को जन्म देती है जिसे भूगोल में केंद्रापसारक और केंद्राभिगामी बल भी कहा जाता है। यही शक्तियां नदी जल को आक्सीजन से संतृप्त कर बालू क्षेत्र की ओर से वाराणसी की ओर भेजती हैं।

यह शक्ति फोर-लेन सड़क बनाने से क्षीण होगी। यह कदम गंगा के लिए विध्वंसक होगा। धार के आगे सड़क हाेने से केंद्राभिगामी बल बदल जाएगा, इससे बालू का जमाव बढ़ेगा जिससे दशाश्वमेध के नीचे तीक्ष्ण कटान होगी और बनारस शहर के अस्तित्व के लिए भविष्य में खतरा उत्पन्न होगा।

प्रो. यूके चौधरी एसटीपी स्थापना को भी गंगा का समुचित उपचार नहीं बताते तथा इसके लिए स्थान चयन पर भी असहमति प्रकट करते हैं। उनका कहना है कि एसटीपी की स्थापना उस पार होनी चाहिए, साथ ही गंगा के उस पार रेती क्षेत्र में जंगल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि भूगर्भ जल संग्रहण हो और नदी में भरपूर पानी बना रहे।