बूढ़े चूहों को फिर से जवान बना सकते हैं वैज्ञानिक, अब इंसानों पर होगा प्रयोग, अमर बनने की तैयारी शुरू!

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वॉशिंगटन: हावर्ड मेडिकल स्कूल के मॉलीक्यूलर जीव विज्ञानी डेविड सिनक्लेयर की प्रयोगशाला में बूढ़े चूहे एक बार फिर से युवा हो रहे हैं। अब प्रयोगशाला में प्रोटीन का उपयोग करते हुए एक वयस्क कोशिका को स्टेम सेल में बदला जा सकता है और सिनक्लेयर और उनकी टीम ने चूहों में उम्र बढ़ने वाली कोशिकाओं को स्वयं के पुराने संस्करणों में रीसेट कर दिया है। विज्ञान की दुनिया के लिए ये एक बहुत बड़ी कामयाबी है और अब इंसानों के ऊपर इसका प्रयोग किया जाएगा

वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी
जीव विज्ञानी डेविड सिनक्लेयर और उनकी टीम को पहली कामयाबी साल 2020 में उस वक्त तब मिली थी, जब उन्होंने आंखों की रोशनी गंवा चुके एक चूहे को, जिसका रेटिना क्षतिग्रस्त हो चुका था, उसे सही कर दिया और उस चूहे ने फिर से देखना शुरू कर दिया था और रिसर्च में पता चला था, कि उस बूढ़े चूहे की देखने की क्षमता, जवान चूहों से मुकाबले काफी ज्यादा हो चुकी है।

चूहों के उम्र को किया रीसेट
सीएनएन से बात करते हुए वैज्ञानिक डेविड सिनक्लेयर ने कहा कि, ‘यह एक स्थायी रीसेट है, जहां तक हम बता सकते हैं, और हमें लगता है कि यह एक सार्वभौमिक प्रक्रिया हो सकती है जिसे हमारी उम्र को रीसेट करने के लिए पूरे शरीर में लागू किया जा सकता है’। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जीव विज्ञानी सिनक्लेयर पिछले 20 वर्षों में उम्र को रिवर्स करने के तरीकों का अध्ययन कर रहे हैं और अब उन्हें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।

‘बढ़ती उम्र को रोकने की कोशिश’
जीव विज्ञानी सिनक्लेयर ने सीएनएन के साथ साझेदारी में प्रस्तुत एक स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम, लाइफ इटसेल्फ में दर्शकों को बताया कि, ‘अगर हम उम्र बढ़ने को उलट दें, तो ये बीमारियां नहीं होनी चाहिए। आज हमारे पास बगैर किसी बीमारी के सौ साल तक जीना सक्षम बनाने की तकनीक है, जिसमें 70 साल की उम्र में कैंसर, या हार्ट अटैक और फिर भूलने की बीमारी से इंसानों को छुटकारा मिल सकती है’। सिनक्लेयर ने दर्शकों से कहा कि, ‘यह एक ऐसी दुनिया है, जो हमारे सामने आने वाली है और यह सचमुच का सवाल है, कि हम में से अधिकांश के लिए यह कब और हमारे जीवन में कब तक घटित होने वाला है।’

लंबे समय तक कर सकते हैं उम्र कंट्रोल
वैज्ञानिक सिनक्लेयर के प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले व्हिटनी केसी ने कहा कि ‘वैज्ञानिक सिनक्लेयर के शोध से पता चलता है कि आप जीवन को लंबे समय तक छोटा बनाने के लिए उम्र बढ़ने को बदल सकते हैं’। उन्होंने कहा कि, अब वह दुनिया को बदलना चाहते हैं और उम्र बढ़ने को एक बीमारी बनाना चाहते हैं’। उन्होंने कहा कि, आधुनिक चिकित्सा पद्धति से बीमारी का इलाज किया जाता है, जबकि बीमारी क्यों हुई है, इसका इलाज नहीं किया जाता है, और ज्यादातर बीमारियों की असल वजह उम्र का बढ़ना है। वहीं, सिनक्लेयर ने कहा कि, ‘हम जानते हैं कि जब हम चूहे में मस्तिष्क जैसे अंग की उम्र उलट देते हैं, तो उम्र बढ़ने के रोग दूर हो जाते हैं। याददाश्त वापस आती है, कोई और मनोभ्रंश नहीं होता है। उन्होंने कहा कि, ‘मेरा मानना है कि भविष्य में, उम्र बढ़ने में को देर तक रोकना और फिर उसे उलटना, उन बीमारियों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका होगा जो हम में से अधिकांश को पीड़ित करते हैं’।

क्या है उम्र का रीसेट बटन?
सिनक्लेयर की प्रयोगशाला में दो चूहे अगल-बगल बैठे हैं। एक तस्वीर चूहे के जवान होने की तस्वीर है, जबकि दूसरी तस्वीर उस वक्त की है, जब चूहा बूढ़ा और कमजोर था। एक वक्त इन चूहों की उम्र एक थी, लेकिन फिर प्रयोगशाला में एक को आनुवंशिक रूप से उम्र बढ़ने की रफ्तार को बढ़ा दिया गया। अगर ऐसा किया जा सकता है, तो सिनक्लेयर ने अपनी टीम से पूछा, क्या रिवर्स भी पूरा किया जा सकता है? जापानी बायोमेडिकल शोधकर्ता डॉ. शिन्या यामानाका ने पहले से ही मानव वयस्क त्वचा कोशिकाओं को भ्रूण या प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं की तरह व्यवहार करने के लिए पुन: प्रोग्राम किया था, जो शरीर में किसी भी कोशिका को फिर से विकसित करने में सक्षम थे। 2007 की खोज के लिए वैज्ञानिक डॉ. शिन्या को नोबेल पुरस्कार मिला था। और उनकी ‘प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल’, जल्द ही ‘यामानाका कारक’ के रूप में जानी जाने लगी।

यमनाका कारक के साइड इफेक्ट
हालांकि, यमनाका कारकों के माध्यम से वयस्क कोशिकाएं पूरी तरह से वापस स्टेम कोशिकाओं में तो बदल जाती हैं, लेकिन वो अपनी पहचान खो देती हैं। वे भूल जाते हैं, कि वे रक्त, हृदय और त्वचा की कोशिकाएँ हैं, जो उन्हें ‘सेल डू जर्नल्स’ के रूप में पुनर्जन्म के लिए एकदम सही बनाती हैं, लेकिन उनका कायाकल्प खराब अवस्था में होता है। यानि, इस पद्धति से अगर किसी चूहे के उम्र को घटाई जाए, तो वो सबकुछ भूलकर एक बच्चा बन जाएगा और वो अपनी यादाश्त तक खो देगा। लिहाजा, वैज्ञानिक ऐसी पद्धति पर रिसर्च कर रहे थे, जिसके तहत उम्र तो कम हो जाए, लेकिन दिमागी सोच पर कोई असर ना पड़े।

पूरी दुनिया में होने लगे रिसर्च
डॉ. शिन्या की यमनाका रिसर्च भले ही इफेक्टिव नहीं थी, लेकिन इससे उम्र को घटाने की एक संभावना जरूर बन गई और दुनिया भर की लैब इस समस्या का निदान खोजने के लिए कूद पड़ीं। कैलिफोर्निया के ला जोला में साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के शोधकर्ताओं द्वारा 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि, उम्र बढ़ने के संकेतों को आनुवंशिक रूप से वृद्ध चूहों में हटाया जा सकता है, जो कोशिकाओं की पहचान को मिटाए बिना चार मुख्य यामानाका कारकों के लिए थोड़े समय के लिए उजागर होते हैं। लेकिन, ये रिसर्च इसलिए फेल हो गया, क्योंकि इसके बदले चूहों को घातक कैंसर बीमारी हो गई।