जयपुर। राजस्थान में दूसरे चरण की 13 लोकसभा सीटों के लिए कल 26 अप्रैल को मतदान होगा। प्रचार के अंतिम दिन सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में दूसरे चरण की 13 में से 7 सीटों पर बीजेपी की स्थिति मजबूत दिख रही है। जबकि 5 सीटों पर कांग्रेस बीजेपी का खेला बिगाड़ सकती है। एक सीट पर त्रिकोणिय मुकाबला है। सियासी जानकारों का कहना है कि चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसंमद, उदयपुर, झालावाड़, पाली और अजमेर में बीजेपी मजबूत दिखाई दे रही है। इसकी दो वजह बताई जा रही है। पहला यह है लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने इन सभी सीटों से 2 से लेकर 4 लाख मतों बंपर जीत हासिल की थी। दूसरी वजह यह है कि कई सीटों पर कांग्रेस की गुटबाजी है। कांग्रेस के विधायक ही प्रत्याशियों का साथ मन लगाकर काम नहीं कर रहे है। संगठब बेहद कमजोर है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा में भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रौत मजबूत दिखाई दे रहे है। यहां कांग्रेस ने बीएपी का समर्थन किया है। ऐसे में यह सीट इंडिया गठबंधन के खातेमें जा सकती है। बीजेपी ने यहां से कांग्रेस में रहे पूर्व मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीया को टिकट दिया है।
केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी बाड़मेर लोकसभा सीट पर त्रिकोणिय मुकाबले में फंसे हुए दिखाई दे रहे है। उन्हें रविंद्र सिंह भाटी और कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल से चुनौती मिल रही है। कैलाश चौधरी ने प्रचार के लिए पूरी ताकत झौंक दी है। कंगन रनौत का रोड शो हुआ। इससे साफ जाहिर है कि कैलाश चौधरी इस बार सीट पर फंसे हुए है। तीनों ही प्रत्याशी बराबर की टक्कर में है। इसी प्रकार जालौर-सिरोही सीट से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को कड़ी टक्कर मिल रही है। गहलोत ने पूरी ताकत लगा दी है। इसके बावजूद सियासी जानकार बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला मान रहे है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोटा, जोधपुर, जैलमेर-बाड़मेर, जालौर- सिरोही और टोंक- सवाई माधोपुर में कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है। टोंक सवाई माधोपुर से बीजेपी के धन कुबेर उम्मीदवार सुखबीर सिंह जौनपुरिया के पास सत्ता विरोधी काट नहीं है। लगातार तीसरी बार मैदान है। लेकिन इस बार उनकी हैट्रिक पर संशय है। कांग्रेस ने उनके सामने हरीश मीणा को टिकट दिया है। हरीश मीणा सचिन पायलट कैंप के माने जाते है। सचिन पायलट ने जमकर प्रचार किया है। जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कांग्रेस के करण सिंह कड़ी चुनौती देते हुए दिखाई दे रहे है। करण सिंह ग्रामीण क्षेत्रों में काफी मजबूत दिखाई दे रहे है। दरअसल, शेखावत को बाहरी होने के नुकसान उठाना पड़ सकता है। करण सिंह को स्थानीय होने का फायदा मिल सकता है। कोटा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला फंसे हुए है। बिरला के पुराने साथी प्रहलाद गुंजल कड़ी टक्कर दे रहे है।