स्टडी का दावा- महिलाओं से ज्यादा त्वचा कैंसर से मरते हैं पुरुष, ये 3 तरीके बचा सकते हैं जान

Study claims - men die more from skin cancer than women, these 3 ways can save lives
Study claims - men die more from skin cancer than women, these 3 ways can save lives
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यह सच है कि महिलाएं अपनी त्वचा को लेकर ज्यादा सचेत रहती हैं। इसलिए कई लोग सोचते हैं कि स्किन कैंसर महिलाओं की बीमारी है, लेकिन ऐसा नहीं है। सच तो यह है कि स्किन कैंसर (Skin Cancer) महिलाओं की तुलना में पुरुषों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यह बीमारी स्किन सेल्स के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है। तीन प्रकार के स्किन कैंसर आम हैं, जिसमें बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा शामिल हैं।

इसमें मेलेनोमा (Melanoma) को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में आने को मेलेनोमा का प्रमुख कारण माना गया है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मेलेनोमा विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है और जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, जोखिम बढ़ता जाता है। इसलिए पुरुषों को इस कैंसर से ज्‍यादा सावधान रहने की जरूरत है। CDC के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में मेलेनोमा से मरने की संभावना बहुत ज्यादा है।
क्‍या कहते हैं आंकड़े

2012 से 2016 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में हर साल मेलेनोमा के लगभग 77,698 नए मामले सामने आए। इनमें से 45,854 पुरुषों में और 31,845 महिलाओं में थे। डाटा में पाया गया कि गोरे रंग के पुरुषों की मृत्यु गोरी महिलाओं की तुलना में दोगुना से ज्यादा त्वचा कैंसर से हुई। बता दें कि भारत में हर साल मेलेनोमा के दस लाख से अधिक मामले देखे जाते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में भारत में अन्य सभी प्रकार के कैंसर के अनुपात में स्किन कैंसर के मामले काफी कम हैं।

भारत के उत्तर पूर्व में सबसे ज्यादा मामले

जर्नल ऑफ कैंसर रिसर्च एंड थेरेप्यूटिक्स में छपी एक स्‍टडी ने भारत की पॉपुलेशन बेस्‍ड कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि स्किन कैंसर से जुड़े सबसे ज्यादा मामले भारत के पूर्वोत्तर में हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि उत्तर और पूर्वी भारत में स्किन कैंसर के ज्यादातर मामले गंगा बेसिन के साथ आर्सेनिक के संपर्क में आने के कारण सामने आते हैं।

​त्‍वचा कैंसर के कारण

स्किन का यूवी रेडिएशन के संपर्क में आना- डॉक्टरों का मानना है कि स्किन का सूरज से हानिकारक यूवी रेडिएशन और टैनिंग लैंप के संपर्क में आना मैलेनोमा की मुख्य वजह है।

सन प्रोटेक्शन के प्रति लोगों का रवैया

कैंसर रिसर्च यूके ने पाया कि सर्वे में शामिल केवल एक चौथाई से भी कम पुरुष खुद को धूप से बचाना जरूरी समझते हैं, जबकि एक चौथाई पुरुषों के अनुसार सन प्रोटेक्शन उतना जरूरी नहीं है। 23 प्रतिशत ने कहा कि वे सूर्य से बचाव करना जरूरी नहीं मानते। जबकि सच यह है कि हर दो साल में सिर्फ एक बार सनबर्न होने से त्वचा कैंसर का खतरा तीन गुना हो सकता है।

हाई एस्ट्रोजन लेवल भी है एक वजह

स्टडी से पता चला है कि हाई एस्ट्रोजन स्तर वाले लोगों में मेलेनोमा का खतरा बढ़ता है। चूंकि महिलाएं ठीक से इलाज कराती हैं, इसलिए स्किन कैंसर से उनके बचने की संभावना ज्यादा होती है।

नॉलेज की कमी

स्किन कैंसर में कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए लोग अपनी त्वचा पर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। बता दें कि पुरुषों में, मेलेनोमा ज्यादातर कंधे या पीठ पर होता है।

मेलेनोमा से बचाव के तरीके

सनस्क्रीन लगाएं- 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन केवल पुरूषों के लिए बनाए गए हैं। इसलिए पुरूषों को घर से बाहर निकलने पर इसे जरूर लगाना चाहिए।

धूप का चश्‍मा पहनें – अगर आपको लोशन और क्रीम लगाना पसंद नहीं है, तो टोपी और सनग्‍लासेस धूप से खुद को बचाने का अच्छा तरीका है।

10 से 2 बजे के बीच बाहर न निकलें- यह वह समय होता है जब सूर्य की किरणें सबसे तेज होती हैं। इसलिए संभव हो, तो इस बाहर न निकलें।

मेलेनोमा के इलाज में देरी से रिस्‍क बढ़ने के साथ इलाज भी मुश्किल हो सकता है, जिससे मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। स्किन एक्सपर्ट के अनुसार, जल्दी निदान पर मेलेनोमा का इलाज संभव है। अगर त्‍वचा में किसी प्रकार का कोई बदलाव दिखे, तो डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।