‘चपरासी बनने लायक नहीं है सुखबीर सिंह जौनापुरिया’…कांग्रेस प्रत्याशीका बीजेपी प्रत्याशी पर तंज

'Sukhbir Singh Jaunapuriya is not fit to be a peon'...Congress candidate takes a dig at BJP candidate
'Sukhbir Singh Jaunapuriya is not fit to be a peon'...Congress candidate takes a dig at BJP candidate
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Rajasthan Politics: पूर्व डिप्टी सीएम व टोंक विधायक सचिन पायलट के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनापुरिया व कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चंद्र मीणा के बीच नामांकन के समय से शुरू हुई ज़ुबानी जंग किसी भी तरह से थमने का नाम नहीं ले रही है.जैसे जैसे चुनाव प्रचार तेज होता जा रहा है दोनों तरफ से एक दूसरे के विरूद्ध तीखे ज़ुबानी हमले बढ़ते जा रहे हैं.

जौनापुरिया द्वारा चार दिन पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चंद्र मीणा की राजनैतिक मौत अपने हाथों जैसा बयान दिये जाने के बयान के बाद रविवार को मीणा द्वारा पलटवार करते हुए जौनापुरिया को चपरासी बनने लायक तक नहीं बता दिया गया है. मीणा ने कहा कि आज किसी नौजवान के विरूद्ध मामला दर्ज होने पर उसे नौकरी तक नहीं मिल पाती है. वहीं यहां को लोगों ने ऐसे व्यक्ति को दस वर्ष से सांसद बनाया हुआ है जो आपराधिक छवि वाला तो है ही साथ ही चपरासी के पद तक के योग्य नहीं है.

मेरी मौत के बाद भी चाहूंगा की जौनापुरिया को स्वर्ग मिले
चार दिन पूर्व दूनी में एक सभा में भाजपा प्रत्याशी व दो बार के सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी व दो बार के विधायक और सांसद रहे हरीश चंद्र मीणा की तुलना सियार से किये जाने व उनकी राजनैतिक मौत उनके हाथों लिखी होने जैसे बयान पर मीणा ने पलटवार करते हुए कहा कि जौनापुरिया महान व भगवान हैं. मीणा ने कहा कि वो कहते हैं कि मेरी राजनैतिक मौत उनके हाथों लिखी हुई है तो मैं मौत के बाद भी यह प्रार्थना करूंगा कि उन्हें स्वर्ग मिले.

भाजपा ने किया गुर्जर जाति का अपमान
हरीश चंद्र मीणा ने कहा कि भाजपा द्वारा टिकट वितरण में राजस्थान के गुर्जरों का किस तरह से अपमान किया गया है, वह इससे ही पता चल जाता है कि पार्टी से सिर्फ एक जगह से ही राजस्थान के गुर्जर को अपना प्रत्याशी बनाया गया है.दूसरे प्रत्याशी जौनापुरिया होने को तो गुर्जर ही हैं लेकिन व राजस्थान के नहीं हरियाणा के निवासी हैं.मीणा ने कहा कि गुर्जरों की भाजपा में जो अनदेखी हुई उसका ही नतीजा है कि प्रहलाद गुंजल को भाजपा में छोड़ कांग्रेस में आना पड़ा है.