मुजफ्फरनगर में रविवार को सादगी के साथ मनाई जाएगी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्य तिथि

The death anniversary of Chaudhary Mahendra Singh Tikait will be celebrated with simplicity on Sunday in Muzaffarnagar
The death anniversary of Chaudhary Mahendra Singh Tikait will be celebrated with simplicity on Sunday in Muzaffarnagar
इस खबर को शेयर करें
मुजफ्फरनगर। भाकियू के संस्थापक एवं किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्य तिथि रविवार को सादगी के साथ मनाई जाएगी। पुण्य तिथि पर सिसौली के किसान भवन में हवन-पूजन, विचार गोष्ठी का आयोजन होगा। जल, जंगल जमीन बचाओ के लिए संकल्प लिया जाएगा। इसके साथ ही रक्तदान शिविर भी लगाया जाएगा।
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत ने बताया कि चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्य तिथि प्रदेश में जिला स्तर पर मनाई जाएगी। मुजफ्फरनगर जनपद में सिसौली के किसान भवन पर पुण्य तिथि की तैयारियां चल रही हैं। टैंट आदि लगाने का कार्य चल रहा है। पुण्य तिथि सादगी के साथ जल, जंगल, जमीन बचाओ संकल्प दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इसके साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाया जाएगा। पुण्य तिथि पर 15 मई को किसान भवन में सुबह यज्ञ का आयोजन होगा। इसके बाद श्रद्धांजलि सभा होगी। जल, जंगल, जमीन बचाओ पर विचार गोष्ठी होगी। गोष्ठी में सामाजिक, राजनीतिक, कृषि वैज्ञानिक, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के वैज्ञानिक व बड़ी संख्या में किसान भाग लेंगे। गौरव टिकैत ने बताया कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया का कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए फोन आया है।
करमूखेड़ी बिजलीघर से शुरू हुए बाबा टिकैत के आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में उस समय रखी गई थी. जब बिजली के बढ़ते दाम को लेकर किसानों में उबाल था। तत्कालीन भाकियू अध्यक्ष महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में शामली जनपद के करमूखेड़ी बिजलीघर पर एक बड़ा आंदोलन हुआ था। इसमें दो किसान जयपाल व अकबर पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे। साथ ही पीएसी का एक जवान भी मारा गया था। इसके बाद बाबा टिकैत ने बड़े-बड़े आंदोलन किए। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह ने बाबा टिकैत की ताकत को पहचाना और खुद सिसौली गांव जाकर किसानों की पंचायत को संबोधित किया और राहत दी। इसके बाद टिकैत ने पूरे देश में घूम-घूमकर किसानों के लिए काम किया। उन्होंने अपने आंदोलन को राजनीति से बिल्कुल अलग रखा। कई बार राजधानी दिल्ली में आकर भी धरने प्रदर्शन किए।