केदारनाथ जा रहे थे पहाड़ टूटकर गिरा, 3 दिन बाद भी 20 लोगों का नही लगा कोई सुराग

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उत्तराखंड के गौरीकुंड में भूस्खलन के बाद से लापता 20 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं लगा है. कई रेस्क्यू टीमें इन लोगों को ढूंढ रही हैं. आजतक से जुड़े प्रवीण सेमवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक रुद्रप्रयाग जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरफ, पुलिस, आईटीबीपी, पीआरडी, केदारनाथ यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के जवान रेस्क्यू कार्य में लगे हुए हैं. रविवार, 6 अगस्त को धारी देवी इलाके से कुंड बैराज तक ड्रोन की मदद से भी लापता लोगों को तलाश किया गया, लेकिन कुछ भी पता नहीं चला.
लापता लोगों के कहां होने की आशंका?
अधिकारियों के मुताबिक तलाशी अभियान के दौरान लगातार हो रही बारिश, नदी के तेज बहाव और पहाड़ियों से गिरते पत्थरों के चलते रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है. बताया जाता है कि मंदाकिनी नदी अभी भी उफान पर है और इसका बहाव काफी तेज है. जिस वजह से घटना स्थल पर नदी में गिरीं दुकानों की छत हटाने में काफी परेशानी हो रही है. अधिकारियों का मानना है कि इस छत के नीचे कुछ लापता लोग मिल सकते हैं.

एक अन्य अधिकारी और उखीमठ के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट जितेंद्र वर्मा ने आजतक को बताया कि लगातार खराब मौसम के कारण और अधिक भूस्खलन का खतरा पैदा हो रहा है. उनके मुताबिक हालात इतने खराब हैं कि इलाके में बनीं अस्थायी दुकानों के मालिक जगह खाली करके सुरक्षित जगहों पर जाने लगे हैं. बढ़ती घटनाओं के चलते जिला प्रशासन ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच सड़क पर बनीं उन दुकानों और इमारतों की पहचान करना शुरू कर दिया है, जो भूस्खलन से खतरे में पड़ सकती हैं.

कैसे हुआ था इतना बड़ा हादसा?
बीती 3 और 4 अगस्त की रात के दरमियान गौरीकुंड इलाके में भूस्खलन के बाद से 23 लोग लापता हो गए थे. ये लोग केदारनाथ के लिए निकले थे. जब ये लोग गौरीकुंड पहुंचे, उसी समय मंदाकिनी नदी में अचानक बाढ़ आई और ऊपर से पहाड़ टूट कर आ गिरा. बताया जाता है कि पहाड़ तीन दुकानों पर गिरा, जिससे दुकानें नदी में जा गिरीं. दुकानों के पास ही ये लोग मौजूद थे. इनमें से तीन लोगों के शव कुछ घंटे बाद बरामद हो गए. लेकिन, अभी भी तक बाकी 20 लोग नहीं मिले हैं. अधिकारियों के मुताबिक इनमें 14 नेपाली, 2 यूपी के और 4 स्थानीय लोग हैं.