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Patna: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे गए सवालों को मंगलवार को टाल दिया. नीतीश कुमार की पार्टी JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है. उन्होंने उन अटकलों में भी शामिल होने से इंकार कर दिया कि नीतीश कुमार उन्हें पार्टी से दोबारा राज्यसभा उम्मीदवार बनाने को लेकर अनिच्छुक दिख रहे हैं.
द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के एक दिन बाद राष्ट्रीय राजधानी से लौटे आरसीपी ने कहा, .आप पत्रकारों सहित सभी के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं.’ आरसीपी सिंह की सीट बिहार से राज्यसभा की उन पांच सीटों में शामिल है जहां चुनाव होने हैं. एक साल पहले नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का राज्यसभा में लगातार दूसरा कार्यकाल चल रहा है.
आरसीपी ने अपने ट्विटर हैंडल के बारे में सवालों को भी टाल दिया जिसमें JDU के साथ उनके जुड़ाव का कोई उल्लेख अब नहीं है. हालांकि, इसमें उनके राजनीतिक जीवन और उनके नौकरशाही और शैक्षणिक करियर के अन्य सभी विवरण मौजूद हैं.
कुछ ऐसा रहा है करियर
उत्तरप्रदेश काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए नीतीश कुमार का उस समय विश्वास अर्जित किया था जब वह रेल मंत्री थे. बिहार में नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद आरसीपी लंबे समय तक उनके प्रधान सचिव रहे थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा निवासी और कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले आरसीपी सिंह ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. वह वर्ष 2010 में JDU में शामिल हुए थे तथा उन्हें नीतीश कुमार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने के कुछ महीने बाद उन्होंने पार्टी का शीर्ष पद छोड़ दिया.
समझा जाता है कि आरसीपी सिंह के लिए JDU से राज्यसभा का एक और कार्यकाल हासिल कर पाना इसबार कठिन होगा क्योंकि पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से उनके समीकरण हाल के दिनों में ठीक नहीं रहे हैं. ललन सिंह तीन दशकों से नीतीश कुमार के भरोसेमंद राजनीतिक सहयोगी रहे हैं.
नीतीश कुमार हैं असहज!
ऐसी अटकले लगायी जा रही हैं कि कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र रहे आरसीपी सिंह का सहयोगी पार्टी भाजपा की ओर झुकाव ने नीतीश को असहज कर दिया है. नीतीश कुमार तीन दशकों से भाजपा के सहयोगी रहे हैं. लेकिन वह अपनी विशिष्ट वैचारिक स्थिति को बनाए रखना पसंद करते हैं और अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि पर जोर देते हैं.