तेजी से बढ़ रही है यौन संबंधों से होने वाली ये बीमारी, आप लोग रहें सावधान!

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अमेरिका के मिशिगन में आंखों से संबंधित ‘ऑक्युलर सिफलिस’ (Ocular Syphilis) संक्रमण के काफी मामले सामने आए हैं। पांच महिलाएं एक ही यौन साथी की वजह से इस संक्रमण की चपेट में आईं। ‘ऑक्युलर सिफलिस’ कुल मिलाकर उतना आम नहीं है, हालांकि संक्रमण के सभी मामलों में से एक प्रतिशत ‘ऑक्युलर सिफलिस’ के होने की वजह से ही संभवतः इसकी व्यापकता को कम आंका गया है।

‘ऑक्युलर सिफलिस’ काफी तेजी से फैलता है। इसके कई रूप होते हैं और शायद इसी वजह से इसका पता लगाना मुश्किल होता है। हालांकि इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है। ‘ऑक्युलर सिफलिस’ का इलाज नहीं कराने की वजह से यह वर्षों तक बढ़ सकता है, जिसके चलते विभिन्न अंगों को नुकसान हो सकता है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह त्रासदी का रूप ले सकता है। यह आंख के लगभग हर ऊतक को प्रभावित कर सकता है, जिनमें कॉर्निया, आईरिस, ऑर्बिट, पलकें, रेटिना, ऑप्टिक तंत्रिका और श्वेतपटल शामिल हैं। यह आमतौर पर सूजन के रूप में प्रकट होता है, लेकिन कभी-कभी संक्रमण बहुत सूक्ष्म होता है।

यदि सिफलिस का इलाज छोड़ दिया जाए तो अन्य महत्वपूर्ण उपचार योग्य संक्रमण का उपचार भी छूट सकता है। उदाहरण के लिए, एचआईवी संक्रमण सिफलिस के रोगियों में भी आम है। एचआईवी संक्रमण की वजह से ‘ऑक्युलर सिफलिस’ तेजी से बढ़ सकता है। नेत्र संबंधी सिफलिस का निदान न होने का मतलब इलाज योग्य बीमारी एचआईवी का निदान न होना भी हो सकता है। मिशिगन की जिन पांच महिला का शुरू में जिक्र किया गया था, वे एक ही पुरुष से संक्रमित हुईं।

इन महिलाओं में अलग-अलग लक्षण दिखे, जिनमें आंखों में सूजन से लेकर कपाल तंत्रिकाओं के पक्षाघात तक शामिल थे। इन गंभीर मामलों में, शुक्र है, तुरंत बीमारी की पहचान करके सही इलाज किया गया। लेकिन कभी-कभी ‘ओक्यूलर सिफलिस’ का निदान नहीं किया जाता और इससे रेटिना में धीरे-धीरे संक्रमण हो सकता है। यह ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ नामक विरासत में मिले संक्रमण जैसा हो सकता है। ऐसे में रोगियों से कहा जा सकता है कि वे अनुवांशिक रोग से पीड़ित हैं, इसमें कुछ नहीं किया जा सकता और उनकी नेत्र दृष्टि खराब हो सकती है। इससे उनमें सिफलिस से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं और उनके मस्तिष्क पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि इसका इलाज नहीं किया जा सकता। मैंने चिकित्सक के रूप में अपनी प्रैक्टिस के दौरान ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ के कई ऐसे रोगियों को ठीक किया है, जिनका इलाज संभव नहीं माना जा रहा था। मैंने जांच की तो पाया कि रोगी को वास्तव में ओक्यूलर सिफलिस था। सिफलिस ‘ट्रेपोनेमा पैलिडम’ नामक जीवाणु के कारण होता है। इसे एक पुरानी बीमारी माना जाता है। संभवतः 1493 में क्रिस्टोफर कोलंबस ने यूरोप में इसके बारे में जानकारी दी थी, लेकिन यह आज भी बहुत प्रचलित है।

ब्रिटेन में सिफलिस संक्रमण के मामले 2022 में बढ़कर 8,692 हो गए, जो 2021 (7,543) की तुलना में 15% अधिक हैं। यह 1948 के बाद से सामने आए संक्रमण के मामलों की सबसे अधिक संख्या है। चिकित्सकों को इसकी जांच करने और मरीजों को यह समझाने में संकोच नहीं करना चाहिए कि जांच क्यों जरूरी है। मेरे अनुभव में, मरीज परीक्षण कराकर खुश होते हैं क्योंकि इससे उनकी आंखों की स्थिति ठीक हो सकती है।

मिशिगन के इन मामलों से यह संदेश मिलता है कि सिफलिस एक यौन संचारित रोग के रूप में बढ़ रहा है। यह आंख समेत कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसका इलाज कराना चाहिए। चिकित्सकों को इस बीमारी के बारे में विचार करना चाहिए और इसकी जांच में संकोच नहीं करना चाहिए। यदि इसका पता चल जाता है, तो ‘एंटीबायोटिक दवाओं’ से तुरंत इसका इलाज किया जा सकता है, जबकि कई अन्य नेत्र रोगों के मामले में ऐसा नहीं है।