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ह्यूस्टन: हर महीने एक दो बार ऐसी खबर आती है कि एस्टेरॉयड धरती की ओर आ रहा है. कभी दूर तो कभी नजदीक से निकल जाता है. लेकिन पृथ्वी को असली खतरा अगर किसी वस्तु से है तो वह एस्टेरॉयड्स ही हैं. अगर कभी कोई एस्टेरॉयड धरती की ओर आ रहा हो और उसकी दिशा में बदलाव न हो, तो प्रलय आना तय है. ऐसे ही एस्टेरॉयड को दूर रखने के लिए या फिर उसकी दिशा बदलने के लिए NASA ने पिछले साल डार्ट मिशन (DART Mission) लॉन्च किया था. अगले महीने 26 तारीख को यह मिशन एस्टेरॉयड से टकराकर उसकी दिशा बदलने वाला है.
पिछले साल नवंबर में नासा ने लॉन्च किया था इस स्पेसक्राफ्ट को. (फोटोः NASA)
धरती को एस्टेरॉयड के हमलों से बचाने के लिए यह स्पेसक्राफ्ट सुदूर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे एस्टेरॉयड से टकराएगा. मकसद सिर्फ यह जानना है कि टक्कर से क्या एस्टेरॉयड की दिशा में बदलाव होगा या नहीं. यह स्पेसक्राफ्ट इस एस्टेरॉयड से 23,760 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से टकराएगा. ताकि एस्टेरॉयड की दिशा में होने में बदलाव को रिकॉर्ड किया जा सके. साथ ही यह भी पता किया जा सके कि क्या टकराव से दिशा बदलेगी या नहीं. इसके अलावा टक्कर के दौरान एस्टेरॉयड के वातावरण, धातु, धूल, मिट्टी आदि का भी अध्ययन किया जाएगा.
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इस मिशन का नाम है डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (Double Asteroid Redirection Test – DART). जिस तकनीक के उपयोग से यह कार्य किया जाएगा, उसे काइनेटिक इम्पैक्टर टेक्नीक (Kinetic Impactor Technique) कहा जा रहा है. यह तकनीक इसलिए विकसित की गई है ताकि धरती की तरफ आ रहे एस्टेरॉयड से स्पेसक्राफ्ट को टकराकर उसकी दिशा में परिवर्तन किया जा सके. जिस एस्टेरॉयड पर नासा DART स्पेसक्राफ्ट के जरिए हमला करेगा उसका नाम है डिडिमोस (Didymos).
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डिडिमोस एस्टेरॉयड 2600 फीट व्यास का है. इसके चारों तरफ चक्कर लगाता हुआ एक छोटा चंद्रमा जैसा पत्थर भी है. इस चांद का नाम है डाइमॉरफोस (Dimorphos). यान की टक्कर इसी से होगी. इसका व्यास है 525 फीट है. नासा इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाएगा. जो डिडिमोस से टकराएगा. इसके बाद दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन धरती पर मौजूद टेलिस्कोप से किया जाएगा.
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नासा की प्लैनेटरी डिफेंस ऑफिसर लिंडली जॉन्सन ने कहा कि हमें इस टक्कर से काइनेटिक इम्पैक्टर टेक्नीक की क्षमता का पता चलेगा. साथ ही यह भी पता चलेगा कि सिर्फ इतने से काम चल जाएगा या फिर धरती को ऐसे एस्टेरॉयड्स से बचाने के लिए कोई नई तकनीक ईजाद की जाए. डिडिमोस तक पहुंचने में यह तेज गति से जाएगा लेकिन उसके चंद्रमा से यह करीब 24 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराएगा.
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ज्यादा तेज गति से टकराने पर डिडिमोस से टक्कर होगी जो नियंत्रण के बाहर है. इसलिए DART स्पेसक्राफ्ट की गति धीमी करके उसे डिडिमोस के चंद्रमा से टकाराया जाएगा. अगर टक्कर से चंद्रमा की गति में थोड़ा भी बदलाव आता है तो वह उससे डिडिमोस से टकरा सकता है. जिससे दोनों की गति और दिशा में मामूली अंतर आ सकता है. अंतरिक्ष में एक डिग्री और एक किलोमीटर की गति की कमी भी बड़ा असर डाल सकती है. धरती से टकराव को रोक सकती है.
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DART स्पेसक्राफ्ट पर नजर रखने के लिए साथ में ही इटैलियन स्पेस एजेंसी का लाइट इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग एस्टेरॉयड्स (LICIACube) भेजा जा रहा है. यह टक्कर के समय डिडिमोस एस्टेरॉयड के पास से गुजरेगा ताकि टकराव की फोटो ले सके और उसकी तस्वीरें धरती पर भेज सके. नासा लगातार धरती के आसपास से गुजरने वाले पत्थरों यानी नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर नजर रखता है. अगर कोई पत्थर धरती 1.3 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट की दूरी यानी धरती और सूरज के बीच मौजूद दूरी से 1.3 गुना ज्यादा दूरी तक आता है तो वह नासा के राडार पर दिख जाता है. अब तक नासा ने धरती के आसपास 8000 से ज्यादा नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स को दर्ज किया है.
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नासा द्वारा दर्ज किए गए नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स में कुछ एस्टेरॉयड्स ऐसे हैं जो 460 फीट व्यास से ज्यादा के हैं. अगर इस आकार का कोई पत्थर अमेरिका पर गिरता है तो वह किसी भी एक राज्य को पूरी तरह से खत्म कर सकता है. अगर यह समुद्र में गिरता है तो बड़ी सुनामी ला सकता है. हालांकि, नासा ने भरोसा दिलाया है पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगा रहे 8000 पत्थरों में से एक भी अगले 100 सालों तक धरती से नहीं टकराएंगे.