अभी-अभी: मोदी मंत्रिमंडल में यूपी को मिले 7 मंत्री, लिस्ट देख चौंक जाएंगे आप

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नई दिल्ली। मोदी सरकार 2.0 की नई कैबिनेट बुधवार को गठित कर दी गई है. कई मंत्रियों पर गाज गिरी है तो कई नए चेहरों को मौका दिया गया है. दिल्ली में हुए इस सियासी बदलाव को यूपी की सत्ता फिर से हथियाने के रूप में देखा जा रहा है. यूपी से 7 नए चेहरों को मोदी की कैबिनेट में जगह दी गई है. इनमें अनुप्रिया पटेल, कौशल किशोर, बीएल वर्मा, पंकज चौधरी, एसपी सिंह, अजय मिश्रा और भानु प्रताप वर्मा का नाम शामिल है. आइए जानते हैं कि आखिर इन नेताओं को दिल्ली की कैबिनेट में जगह देकर बीजेपी ने किस तरह से यूपी की सियासी जमीन को साधने की कोशिश की है.

अपना दल की नेता हैं अनुप्रिया पटेल
अनुप्रिया पटेल यूपी के मिर्जापुर से सांसद हैं और भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 2014 के आम चुनावों में बीजेपी गठबंधन की सदस्य अपना दल ने 2 सीटें हासिल की थीं. इसके बाद मोदी सरकार ने मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को केंद्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया था, लेकिन 2019 में मोदी सरकार दोबारा बनने के बाद अपना दल को केंद्रीय टीम में जगह नहीं मिली.

पिता से मिली राजनीतिक विरासत
अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल यूपी की सियासत में अपनी एक अलग पहचान रखते रहे. वह बसपा के संस्थापकों में से एक माने जाते हैं. बाद में वह बसपा से अलग हो गए और अन्य पिछड़ा वर्ग को केंद्रित कर अपना दल बना लिया. दरअसल, यूपी की सियासत में ओबीसी जातियों को अहम माना जाता है. यादवों के बाद इसमें सबसे ज्यादा कुर्मी वोट बैंक है. करीब 9 प्रतिशत आबादी के साथ यूपी की 100 विधानसभा सीटों पर कुर्मी जाति का असर माना जाता है.

पिता की मौत ने बदल दी जिंदगी
अनुप्रिया पटेल का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर शहर में हुआ. उन्होंने दिल्‍ली यूनवर्सिटी से पढ़ाई की है. अनुप्रिया शुरुआती जीवन में राजनीति से दूर ही रहीं. लेकिन पिता सोनेलाल की 2009 में हादसे में मौत के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया.

मां-बहन से अलगाव
पिता की मौत के बाद अनुप्रिया पटेल पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव बनीं. पार्टी की कमान उनकी मां कृष्णा पटेल के पास आ गई. अनुप्रिया अपनी अलग पहचान बनाती गईं, इसके साथ ही उनके परिवार में तनाव भी बढ़ते गए. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया वाराणसी की रोहनिया विधानसभा से चुनाव जीतीं. इसके दो साल बाद ही उनकी पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया और 2014 में अनुप्रिया पटेल मिर्ज़ापुर से लोकसभा चुनाव जीतीं.

इधर, अनुप्रिया ने रोहनिया विधानसभा सीट छोड़ी तो इस सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर परिवार में रस्साकसी सामने आई. यहीं से अपना दल में टूट शुरू हो गई. दरअसल, इस सीट पर अनुप्रिया के पति आशीष सिंह चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन मां कृष्णा पटेल ने इसे खारिज कर दिया और खुद रोहनिया से चुनाव लड़ीं. ये उपचुनाव कृष्णा पटेल हार गईं और अब मां और बेटी आमने-सामने आ गईं. इस बीच अनुप्रिया पटेल ने 2016 में अपनी अलग पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बना ली.

हालांकि, इस बात में कोई शक नहीं है कि यूपी में ओबीसी वोटबैंक एक बड़ा फैक्टर है और अनुप्रिया की पहचान ओबीसी के बड़े नेताओं के रूप में है. ऐसे में मोदी कैबिनेट में उन्हें जगह मिलने के बाद यूपी के ओबीसी वोटर्स को साधा जा सकता है.