उत्‍तराखंड में गिरा मतदान का ग्राफ, नेताओं की बढ़ी चिंता

Voting graph dropped in Uttarakhand, concern of leaders increased
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देहरादून। Uttarakhand Lok Sabha Election 2024 Voting: सुबह से ही मतदान की धीमी गति को लेकर जैसी आशंका थी, हुआ भी लगभग वैसा ही। उत्तराखंड, खासकर अधिकांश पर्वतीय भूगोल वाली तीन संसदीय सीटों टिहरी गढ़वाल, गढ़वाल और अल्मोड़ा में मतदाता ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई।

मतदाता के इस व्यवहार ने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को असमंजस में डाल दिया है। यद्यपि, दावे भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही तरफ से मतदान प्रतिशत को अपने पक्ष में बताने के किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें कितना दम है, चार जून को नतीजे आने पर ही पता चलेगा।

ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि पिछली बार की अपेक्षा लगभग साढ़े पांच प्रतिशत कम मतदान, यानी वोटर टर्न आउट का रिवर्स स्विंग भाजपा या कांग्रेस, किसे रास आएगा। निर्वाचन आयोग के तमाम प्रयासों के बाद भी 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में राज्य की पांचों सीटों पर औसत मतदान ही दर्ज किया गया। वैसे यह राज्य गठन के बाद हुए पहले दो लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत से अधिक है।

पिछले लोकसभा चुनावों में कुछ ऐसा रहा मतदान प्रतिशत
इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा शुक्रवार रात्रि 10 बजे तक कुल मतदान का जो आंकड़ा जारी किया गया, वह रहा 55.89 प्रतिशत। अगर राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों के मतदान प्रतिशत का विश्लेषण करें तो दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर मतदान 48.07 प्रतिशत रहा। इसमें भाजपा को मिले 40.98 प्रतिशत, कांग्रेस को 38.31 प्रतिशत, सपा को 7.93 प्रतिशत और बसपा को 6.77 प्रतिशत। यानी, भाजपा को कांग्रेस से केवल 2.67 प्रतिशत अधिक मत हासिल हुए, लेकिन उसने तीन सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस और सपा को एक-एक सीट पर कामयाबी मिली।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कुल 53.43 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें से कांग्रेस के हिस्से आए 43.13 प्रतिशत व भाजपा को प्राप्त हुए 33.82 प्रतिशत मत। कांग्रेस ने भाजपा से 9.31 प्रतिशत अधिक मत पाकर पांचों सीट जीत क्लीन स्वीप कर डाला। तब अधिक वोटर टर्नआउट का फायदा कांग्रेस को हुआ। अब बात करें पिछले दो लोकसभा चुनाव की।

वर्ष 2014 के चुनाव में राज्य का कुल मतदान प्रतिशत रहा 61.67, जो पिछली बार की अपेक्षा 8.24 प्रतिशत अधिक था। इस बार कुल मतों में से भाजपा का हिस्सा रहा 55.30 प्रतिशत और कांग्रेस का 34.00 प्रतिशत। भाजपा ने 21.30 प्रतिशत अधिक मत लेकर पांचों सीटों पर परचम फहरा दिया और कांग्रेस रह गई खाली हाथ। ऐसी ही कुछ तस्वीर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नजर आई। इस चुनाव में कुल 61.50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें भाजपा के खाते में आए 61.01 प्रतिशत मत और कांग्रेस को मिले 31.40 प्रतिशत, जबकि बसपा 4.48 प्रतिशत पर सिमट गई।

पिछले चुनाव की अपेक्षा वर्ष 2019 में भाजपा की कांग्रेस पर 29.61 प्रतिशत मतों की बढ़त रही। इसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा ने बड़े अंतर से पांचों सीटों पर जीत दर्ज की। पिछली बार की अपेक्षा इस बार कम मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को उलझा कर रख दिया है।

राज्य गठन के बाद मतदान प्रतिशत में इतनी गिरावट पहली बार दर्ज की गई है, लिहाजा कोई भी इसे लेकर आकलन करने या अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं है। चुनावी समर में उतरे राजनीतिक दल इसे अपने पक्ष में बता रहे हैं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि शत-प्रतिशत आश्वस्त कोई भी नहीं दिख रहा है। अब सबकी नजरें चार जून पर टिक गई हैं, जब मतगणना के लिए ईवीएम खुलेगी और खुलेगी 55 में से पांच प्रत्याशियों की किस्मत।

लोकसभा चुनावों में मत प्रतिशत
वर्ष – कुल मतदान-भाजपा-कांग्रेस
2014- 61.67-55.30-34.00
2019- 61.30-61.01-31.40
2024- 55.89- — – —