वेस्ट यूपी में क्या रहा किसान आंदोलन का असर, पब्लिक ने…

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नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर सालभर से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन का पश्चिमी यूपी पर क्या असर रहा? सपा-रालोद गठबंधन ने जाट-मुस्लिम-यादव का जो ‘अजेय’ समीकरण गढ़ने की कोशिश की, उसका क्या हुआ? आइए समझते हैं कि यूपी के जाट, किसान और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी का कैसा प्रदर्शन रहा।

यूपी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। साढ़े 3 दशक से ज्यादा वक्त बाद सूबे में कोई मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में आ रहा है। अखिलेश यादव की अगुआई में सपा गठबंधन ने पूरा जोर तो लगाया लेकिन ‘बुलडोजर बाबा’ को रोक न सकें। यूपी के नतीजे बताते हैं कि किसान आंदोलन और राकेश टिकैत जैसे किसान नेता बीजेपी का खुला विरोध करने के बावजूद जमीन पर बेअसर साबित हुए हैं।

जाट बहुल सीटों का हाल
पश्चिमी यूपी की 22 जाट बहुल सीटों में से 16 पर बीजेपी बढ़त बनाए हुए हैं। किसान आंदोलन और बाद में सपा-रालोद गठबंधन को लेकर कहा जा रहा था कि इससे पश्चिमी यूपी में जाट और मुस्लिम फिर एक साथ आ रहे हैं जो 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एक-दूसरे से दूर हो गए थे। हालांकि, जमीन पर ऐसा नहीं दिखा। सपा-रालोद का गठबंधन भी बीजेपी को कुछ खास नुकसान पहुंचाने में नाकाम रहा। हां, जयंत चौधरी की आरएलडी दो अंकों को छूने में कामयाब जरूर होती दिख रही। 2017 में आरएलडी को सिर्फ एक सीट मिली थी और बाद में वह इकलौता विधायक भी पार्टी से दूर हो गया।

राकेश टिकैत को नहीं सूझा जवाब
हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में किसान आंदोलन के अगुआ राकेश टिकैत निर्णायक रूप से कुछ बोलने की सूरत में नहीं दिखे। उनके पास इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं था कि आखिर किसानों के दबदबे वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बढ़त कैसे मिल गई, खासकर तब जब समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (SP-RLD Alliance) ने मिलकर चुनाव लड़ा है। अगर जाटलैंड में किसानों और जाटों ने जाट नेता होने का दंभ भरने वाले जयंत चौधरी को भी नकार दिया तो फिर किसान आंदोलन बिल्कुल बेअसर ही रहा।

मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बीजेपी को बढ़त
यूपी की 96 मुस्लिम बहुल सीटों में से 55 पर बीजेपी बढ़त बनाने में कामयाब रही। दरअसल, मुस्लिम समुदाय के बारे में माना जाता है कि ये परंपरागत रूप से बीजेपी के विरोध में वोट करते हैं। बसपा और कुछ सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी मैदान में थी लेकिन नतीजे बता रहे कि मुस्लिम वोटरों को लुभाने में ये दोनों ही दल नाकाम हुए। यानी मुस्लिम वोटरों का एक बड़ा हिस्सा सपा गठबंधन के खाते में गया। इससे बीजेपी को हिंदू वोटों को अपने पक्ष में काउंटर पोलराइज करने में मदद मिलती दिख रही। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को भी भुनाने में बीजेपी कामयाब हुई।

दलितों के असर वाली सीटों पर कमल
यूपी की दलित बहुल 190 सीटों में से 122 पर बीजेपी को बढ़त है। इसी तरह जाटव-मुस्लिम बहुल 75 सीटों में से 44 पर बीजेपी बढ़त बनाने में कामयाब रही। कुर्मी बहुल 19 सीटों में से 14 बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं।